Haryana Political Crisis: हरियाणा में राजनीतिक संकट गहरा गया है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. जिसके बाद से ही नायब सैनी सरकार के सामने फिर से संकट आ गया है. वहीं निर्दलीय विधायकों का कहना है कि वे लोकसभा और विधान सभा चुनावों में कांग्रेस का साथ देंगे. सैनी सरकार के पास अब छह निर्दल विधायकों में में कम से कम तीन का समर्थन हासिल है.
यह पूरा राजीनीतिक घटनाक्रम लोकसभा चुनावों के बीच हुआ है. आपकी जानकारी के लिये बता दें कि दो महीने पहले ही हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी के हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया था. जिसके बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी.
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अल्पमत में सैनी सरकार:
ऐसे में प्रदेश की भाजपा सरकार विधायकों के संख्या बल के आधार पर अल्पमत में आ गई है. लेकिन आपको बताते चले कि संवैधानिक तौर पर सरकार को अभी कोई खतरा नहीं है. चलिये अब जानते है कि अल्पमत के बावजूद हरियाणा की सैनी सरकार कैसे सत्ता में बनी रहेगी.
किन विधायकों ने समर्थन लिया वापस:
सैनी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले तीन विधायकों में चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान (Somveer Sangwan) पूंडरी के निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन (Randhir Golan) और नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर शामिल है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 22 फरवरी 2024 को मनोहर लाल खट्टर के स्थान पर जब सैनी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था.
स्पीकर को कोई लिखित पत्र नहीं:
तीनों निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को समर्थन वापसी का कोई लिखित पत्र नहीं दिया है लेकिन तीनों विधायकों ने कांग्रेस नेता हुड्डा की मौजूदगी में समर्थन वापसी की बात कही है. इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है और सैनी सरकार जरुर दबाव में आ गयी है.
किसके पास कितनी संख्या बल:
हरियाणा विधानसभा में 90 सदस्य हैं. हरियाणा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा पार करने और राज्य में सरकार बनाने के लिए एक राजनीतिक दल को 46 विधायकों के समर्थन की जरूरत है.
वर्तमान में भाजपा के पास 40 विधायक है और बीजेपी को हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के विधायक और कम से कम तीन निर्दल विधायकों का समर्थन हासिल है.
कुल मिलाकर, सत्तारूढ़ भाजपा के पास 44 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत के आकड़े से केवल दो कम है. एक विधायक कम होने पर भी बीजेपी राज्य में सरकार नहीं बना पाएगी लेकिन सरकार अभी सुरक्षित है.
क्यों नहीं गिरेगी सैनी सरकार:
हाल के घटनाक्रम के बावजूद भाजपा सरकार पर कोई खतरा नहीं है अभी के लिए सैनी मुख्यमंत्री बने रहेंगे. आपको बता दें कि सैनी जब मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए थे तब उनकी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, इसके बाद उन्होंने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया था.
संवैधानिक तौर पर विपक्ष 22 फरवरी के बाद से अगले छह माह तक सरकार के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकता है जिस कारण अभी सरकार अगले चार महीने के लिए सुरक्षित है.
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