केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 28 दिसंबर, 2020 को भारत के पहले न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन ‘न्यूमोसिल’ का उद्घाटन किया. इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे भागीदारों के साथ मिलकर विकसित किया है.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को दुनिया में कई खुराक तैयार करने के कारण टीके के सबसे बड़े निर्माता के तौर पर मान्यता हासिल है और देश की अर्थव्यवस्था में इसके योगदान के बारे में चर्चा करते हुए, स्वास्थ्य मंत्री ने यह कहा कि, दुनिया भर में 170 देशों में इसके टीकों का उपयोग किया जाता है.
इस उद्घाटन समारोह में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के CEO अदार पूनावाला और पूनावाला ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज चेयरमैन एंड फाउंडर, डॉ. साइरस पूनावाला, SIIPL ने भाग लिया.
स्वदेश में विकसित किया गया है यह न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन
- सीरम इंस्टीट्यूट का पहला स्वदेश में विकसित न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन ‘न्यूमोसिल’ नाम से बाजार में उपलब्ध होगा. यह एक एकल खुराक और मल्टीडोज वैक्सीन के रूप में सस्ती कीमत पर उपलब्ध होगा.
- इस वैक्सीन की जांच 5 यादृच्छिक नैदानिक परीक्षणों (रैंडम क्लिनिकल ट्रायल्स) में किया गया है. इसने अफ्रीका और भारत की आबादी में लाइसेंस प्राप्त न्यूमोकोकल टीकों के खिलाफ तुलनीय प्रतिरक्षा और सुरक्षा का प्रदर्शन किया है.
- क्लिनिकल परीक्षण के दौरान न्यूमोसिल को निमोनिया रोग की रोकथाम में प्रभावी और सुरक्षित पाया गया.
- सफल क्लिनिकल परीक्षण के आधार पर, न्यूमोज़िल को विषय विशेषज्ञ समिति से अनुमोदन के बाद जुलाई, 2020 में DGCI द्वारा लाइसेंस दिया गया था.
स्वास्थ्य मंत्री ने भारत के वैज्ञानिक समुदाय को दी बधाई
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत के चिकित्सा और वैज्ञानिक समुदाय को बधाई दी और यह कहा कि, उन्हें यकीन है कि सीरम इंस्टीट्यूट की टीम और अन्य वैज्ञानिक एवं चिकित्सक भविष्य में कई जीवनरक्षक टीके विकसित करने के अपने प्रयास जारी रखेंगे.
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि, निमोनिया दुनिया भर में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का एकमात्र सबसे बड़ा संक्रामक कारण है और यह वैश्विक स्तर पर लगभग 10 लाख लोगों की मृत्यु का कारण भी है.
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