स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 31 जनवरी 2017 को चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 अधिसूचित किये. नए नियम ग्लोबल हार्मोनाइजेशन टॉस्क फोर्स (जीएचटीएफ) फ्रेमवर्क के अनुरूप बनाए गए हैं और सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियों की पुष्टि करते हैं.
नए नियमों का लक्ष्य मेक इन इंडिया के मार्ग की नियामक कठिनाइयों को दूर करना है. यह नियम व्यापार में सुगमता लाने में सहायक हैं और बेहतर रोगी देखभाल एवं सुरक्षा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करते हैं.
नए नियमों के मुख्य बिंदु
• चिकित्सा उपकरण विनिर्माताओं को जोखिम अनुपात नियामक अपेक्षाएं पूरी करनी होंगी जिनका उल्लेख नियमों में किया गया है और जो अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियों के अनुरूप हैं.
• चिकित्सा उपकरणों के नियमन में सर्वोच्च व्यावसायिकता लाने के लिए अधिसूचित निकायों के ज़रिए तृतीय पक्ष समरूपता मूल्यांकन और प्रमाणन की व्यवस्था की गई है.
• नियमों में चिकित्सा उपकरण विनिर्माताओं द्वारा आत्म-अनुशासन की संस्कृति विकसित करने की अपेक्षा की गई है और तदनुरूप श्रेणी ए के चिकित्सा उपकरणों के लिए लाइसेंस विनिर्माण स्थल की पूर्व जांच किए बिना ही मंजूर कर दिए जायेंगे.
• ऐसे मामलों में विनिर्माता को अपेक्षाएं पूरी करने के बारे में स्वयं प्रमाणपत्र देना होगा परन्तु बी और सी श्रेणी के चिकित्सा उपकरणों के मामले में अधिसूचित निकायों द्वारा पूर्व जांच अनिवार्य होगी.
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