माइन काम्फ़ (Mine Kampf): एडोल्फ़ हिटलर
जर्मन तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर की आत्मकथा ‘माइन काम्फ़’ (Mine Kampf) पर वर्ष 2015 के अंत में कॉपीराइट खत्म हो जाएगी. इसके तहत जर्मन अधिकारी इस किताब के प्रकाशन और वितरण पर नियंत्रण नहीं रख पाएँगे. हिटलर की यह आत्मकथा जर्मन भाषा में पहली बार वर्ष 1925 (Vol-1) एवं वर्ष 1926 (Vol-2) में प्रकाशित की गई. वर्ष 1936 में माइन काम्फ़ का अंग्रेज़ी में अनुवाद जेम मर्फ़ी के किया था.
वर्ष 1923 में ‘बीयर हॉल’ की तख़्तापलट की असफल कोशिश के बाद हिटलर को देशद्रोह के आरोप में म्यूनिख़ की एक जेल में रखा गया था और यहीं उन्होंने आत्मकथा लिखी थी. आत्मकथा में उन्होंने अपने नस्ली और यहूदी विरोधी विचार सामने रखे थे. एक दशक बाद जब हिटलर सत्ता में आए, तो यह एक प्रमुख नाज़ी किताब बन गई और इसकी एक करोड़ 20 लाख प्रतियां प्रकाशित की गईं. जर्मन सरकार इस किताब को नवविवाहित जोड़ों को देती थी. इसके साथ ही इस किताब को सभी वरिष्ठ अधिकारी अपने घरों में रखते थे.
दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति पर अमरीकी सेना ने जब नाज़ियों के प्रकाशक इहर वरलॉग पर कब्ज़ा किया तो माइन काम्फ़ के सारे अधिकार बवेरिया स्टेट (बवेरिया की सरकार) के पास चले गए. बवेरिया स्टेट ने सुनिश्चित किया कि जर्मनी में इस किताब का पुनर्प्रकाशन कुछ विशेष परिस्थितियों में ही हो सकेगा.
विदित हो कि जर्मनी में लेखक की मृत्यु के 70 वर्ष बाद किसी किताब का कॉपीराइट खत्म होता है. इसके बाद किसी के भी पास उसे छापने का अधिकार होता है.
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