मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने 31 दिसंबर 2018 को जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) के छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है. इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मामले के संबंध में एचआरडी मंत्रालय को नोटिस भेजा था.
मंत्रालय ने मनोचिकित्सक डॉ. जितेंद्र नागपाल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. यह समिति जवाहर नवोदय विद्यालय स्कूलों के गठन से लेकर अब तक कितने छात्रों ने आत्महत्या की है, उसकी जांच करेगी. समिति को एक महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी होगी.
मुख्य तथ्य:
• यह समिति उन परिस्थितियों पर विचार करेगा जिनके चलते नवोदय आवासीय विद्यालयों के छात्रावास में रह रहे छात्रों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा.
• साथ ही यह समिति आत्महत्या पर रोक लगाने के तरीके एवं साधनों का सुझाव भी देगा.
• मंत्रालय ने 630 जवाहर नवोदय विद्यालयों में से प्रत्येक में दो पूर्णकालिक काउंसलर (एक महिला एवं एक पुरुष) रखने संबंधी एक प्रस्ताव को भी मंजूरी के लिए व्यय विभाग को भेज दिया है.
जवाहर नवोदय विद्यालय: |
जवाहर नवोदय विद्यालय पूरी तरह आवासीय विद्यालय हैं और नवोदय विद्यालय समिति इनका संचालन देखती है. यह समिति मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है. ये विद्यालय पूर्णतः आवासीय एवं निःशुल्क विद्यालय होते हैं जहाँ विद्यार्थियों को नि:शुल्क आवास, भोजन, शिक्षा एवं खेलकूद सामग्री उपलब्ध कराई जाती है. हर जिले में एक नवोदय विद्यालय होता है. भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार जवाहर नवोदय विद्यालय प्रारंभ किए थे. वर्तमान में जवाहर नवोदय विद्यालय 27 राज्यों और 7 संघ शासित राज्यो मैं संचालित हैं. जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्र केंद्रीय माधामिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10 और 12 की परीक्षा में सम्मिलित होते हैं. जवाहर नवोदय विद्यालय में प्रवेश हेतु कक्षा 5 के विद्यार्थियों के लिये प्रवेश परीक्षा होती है एवं प्रत्येक जिले से 80 छात्रों का चयन किया जाता है. नवोदय विद्यालयों में 75 प्रतिशत ग्रामीण और 25 प्रतिशत शहरी बच्चों को प्रवेश दिया जाता है. |
पृष्ठभूमि:
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने वर्ष 2013 से वर्ष 2017 के बीच जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) में 49 छात्रों की कथित आत्महत्या के पीछे की परिस्थितियों का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित की.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) ने भी हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पांच वर्षों में 49 छात्रों की आत्महत्या की सूचना दी थी.
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