भारत ने 5 अप्रैल 2017 को 110 लड़ाकू विमानों के बेड़े की खरीद प्रक्रिया शुरू की. वायु सेना ने अरबों डॉलर के लड़ाकू विमानों के खरीद सौदे के लिए सूचना हेतु अनुरोध (आरएफआई) अथवा शुरुआती निविदा जारी की है. इसमें कहा गया है कि सौदा सरकार की मेक इन इंडिया पहल के साथ किया जायेगा.
भारत ने मेक इन इंडिया पहल के तहत वैश्विक कंपनियों के सामने 110 फाइटर जेट बनाने का प्रस्ताव रखा है. इसे विश्व का सबसे बड़ा रक्षा सौदा बताया जा रहा है.
लड़ाकू विमान खरीद प्रक्रिया के मुख्य तथ्य
• इस निविदा के लिए लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, साब औत दसाल्ट जैसी कंपनियों के बीच कड़ी प्रतियोगिता होगी.
• मीडिया में प्रकाशित जानकारी के अनुसार इतनी संख्या में जेट विमान तैयार करने में 15 बिलियन डॉलर यानी करीब 973 अरब 87 करोड़ 50 लाख रुपये का खर्च आ सकता है.
• रिपोर्ट के मुताबिक 85 फीसदी जेट सिंगल सीटर होंगे जबकि बाकी दो सीटों वाले होंगे.
• बोली लगाने वाले इच्छुक निर्माताओं को अपने प्रस्ताव 6 जुलाई तक भेजने होंगे.
• भारतीय वायुसेना 2020 तक 32 लड़ाकू स्क्वाड्रॉन और 39 हेलिकॉप्टर की यूनिट मिल जाएंगी.
उद्देश्य
भारत में अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी लाने के उद्देश्य से हाल में शुरू रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारतीय कंपनी के साथ मिलकर विदेशी विमान निर्माता लड़ाकू विमान बनाएंगे. वायु सेना पुराने हो चुके कुछ विमानों को बाहर करेगी तथा रक्षा बेड़े की क्षमता में इजाफा करने के लिए विमानों की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाएगी. गौरतलब है कि 10 स्क्वाड्रॉन जिसमें MiG-21 और MiG-27 भी शामिल हैं जो 2024 तक रिटायर हो रहे हैं.
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