आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने हाल ही में आईडीबीआई बैंक लिमिटेड में प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ रणनीतिक विनिवेश के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. भारत सरकार और एलआईसी द्वारा बेची जाने वाली अपनी-अपनी हिस्सेदारी की सीमा का निर्धारण आरबीआई के परामर्श से इस सौदे को उपयुक्त स्वरूप देने के समय किया जाएगा.
आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की कुल हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से ज्यादा है. एलआईसी के पास बैंक के 49.21 प्रतिशत शेयर हैं और साथ ही वह उसकी प्रवर्तक है एवं उसके पास बैंक के प्रबंधन का नियंत्रण है.
भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे दी. इसमें कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श कर तय किया जाएगा कि इस बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कीतनी कितनी हिस्सेदारी बेची जाए.
बजट में विनिवेश
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश करते समय घोषणा की थी कि चालू वित्त वर्ष के विनिवेश कार्यक्रम में सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण भी किया जाएगा. बजट में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है.
एलआईसी के पास 49.21 प्रतिशत शेयर
एलआईसी के पास बैंक के 49.21 प्रतिशत शेयर हैं और साथ ही वह उसकी प्रवर्तक है एवं उसके पास बैंक के प्रबंधन का नियंत्रण है.
वित्तीय वर्ष में मुनाफा अर्जित किया
एलआईसी के नियंत्रण वाले आईडीबीआई बैंक ने पांच साल बाद मार्च 2021 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में मुनाफा अर्जित किया. बैंक ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1,359 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया. वित्तीय वर्ष 2019-20 में बैंक को 12,887 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ था. आईडीबीआई बैंक के अनुसार पांच साल बाद बैंक ने मुनाफा अर्जित किया है.
पृष्ठभूमि
आपको बता दें कि आईडीबीआई एक सरकारी बैंक था, जो 1964 में देश में बना था. जून, 2018 में एलआईसी ने आईडीबीआई में 21,000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. इसके बाद एलआईसी और सरकार ने मिलकर आईडीबीआई बैंक को 9,300 करोड़ रुपये दिए.
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