कामकाज के भविष्य पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा गठित वैश्विक आयोग ने हाल ही में रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट द्वारा वर्किंग सेक्टर में आए बदलावों के कारण उत्पन्न चुनौतियों तथा उनसे निपटने के लिए आवश्यक कदमों के लिए सुझाव दिए गये हैं.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी जानकारी के अनुसार कामकाज के भविष्य पर आयोग ने 15 महीने की मेहनत के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया है. इसमें व्यापार, सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों के 27 प्रतिनिधि शामिल थे.
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
• दिन-प्रतिदिन तकनीक में आ रहे बदलावों, जनसांख्यिकी और जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली चुनौतियों का के बारे में बात करते हुए आयोग ने बेहतरी की ओर कदम बढ़ाने के लिए विश्वव्यापी और सामूहिक प्रयासों की अपील की है. इसके तहत नीतिगत बदलावों को महत्वपूर्ण बताया गया है.
• कामकाज के भविष्य पर श्रम संगठन द्वारा गठित आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, कामकाजी जीवन को बेहतर बनाने, विकल्पों का दायरा बढ़ाने, लैंगिक खाई को पाटने और वैश्विक असमानता से हुए नुकसान की भरपाई के अनगिनत अवसर हमारे सामने हैं.
• सभी अवसरों को भुनाने के लिये उचित कदम उठाने होंगे. निर्णायक और उचित प्रयासों के बगैर हम एक ऐसी दुनिया में प्रवेश कर रहे होंगे जहाँ पहले से ही कायम असमानताएँ तथा अनिश्चितताएँ और अधिक बढ़ जाएंगी.
• रिपोर्ट के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, स्वचालित यंत्रों और रोबोटिक्स का प्रभाव नौकरियो पर ज़रूर पड़ेगा. इन क्षेत्रों में नई नौकरियाँ भी पैदा होंगी लेकिन ऐसे अवसरों को पाने के लिये अपने कौशल को भी लगातार निखारना पड़ेगा और सीखने की प्रक्रिया में पीछे रह गए लोग इनका लाभ नहीं उठा पाएंगे.
• तकनीकी आधुनिकीकरण और हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की कोशिशों से नई नौकरियों के सृजन की भी संभावना दिखती है.
रिपोर्ट में जारी सिफारिशें
• एक सार्वभौमिक श्रम गारंटी की आवश्यकता है जो श्रमिकों के मौलिक अधिकारों, जैसे- पर्याप्त मज़दूरी, काम के घंटे की तय सीमा और सुरक्षित तथा स्वस्थ कार्यस्थल की सुरक्षा प्रदान करती हो.
• जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक सामाजिक सुरक्षा की गारंटी जो जीवन-चक्र में लोगों की ज़रूरतों में सहायक साबित हो सके.
• अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहे अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में नई खोज़ों और तकनीकों के इस्तेमाल से रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं लेकिन निर्णायक प्रयासों और नीतियों में बदलाव के ज़रिये अगर उन्हें नहीं संवारा गया तो फिर कार्यस्थलों पर असमानताएँ और अनिश्चितताएँ और गहरा जाएंगी.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बनाता है. एक त्रिदलीय अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जिसकी स्थापना 1919 ई. की शांति संधियों द्वारा हुई और जिसका लक्ष्य संसार के श्रमिक वर्ग की श्रम और आवास संबंधी अवस्थाओं में सुधार करना है. इस संगठन का उद्देश्य संसार के श्रमिक वर्ग की श्रम और आवास संबंधी अवस्थाओं में सुधार करना है. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड स्थित जिनेवा में है. वर्ष 1969 में इस संगठन को विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
भारत इस संगठन के संस्थापक सदस्य राष्ट्रों में से एक है, और 1922 से उसकी कार्यकारिणी में संसार की आठवीं औद्योगिक शक्ति के रूप में वह अवस्थित रहता रहा है. वर्ष 1949 में इस संगठन के बजट में भारत का योगदान 3.32 प्रतिशत है, जो संयुक्त राज्य अमरीका, ग्रेट ब्रिटेन, सोवियत संघ, फ़्राँस, जर्मनी के प्रजातंत्र संघ तथा कनाडा के बाद सातवें स्थान पर है.
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