अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) पाकिस्तान को तीन साल में छह अरब डॉलर (करीब 42 हजार करोड़ रुपये) की सहायता देने जा रहा है. दोनों के बीच इस संबंध में 12 मई 2019 को एक समझौता हुआ है. पाकिस्तान फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
आइएमएफ के अनुसार इस समझौते का मुख्य उद्देश्य घरेलू और बाहरी असंतुलन को कम करने के साथ ही विकास में रुकावट को दूर करना, पारदर्शिता को बढ़ाना और सामाजिक खचरें में वृद्धि करके मजबूत और अधिक समावेशी विकास हेतु पाकिस्तान को तैयार करना है.
तीन साल के लिए हुआ समझौता:
पाकिस्तान की यह समझौता आईएमएफ से अगले तीन साल के लिए हुई है. आईएमएफ आने वाले तीन सालों में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को उबारने हेतु 6 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज देगा.
पाकिस्तान आईएमएफ का सदस्य:
पाकिस्तान साल 1950 में आईएमएफ का सदस्य बना था. पाकिस्तान आईएमएफ के सदस्य बनने के बाद से अब तक वह 21 बार बेलआउट पैकेज ले चुका है. इस नए पैकेज को मंजूरी मिलने के बाद यह 22वां बेलआउट पैकेज होगा.
पाकिस्तान पर कर्ज:
हाल ही में पाकिस्तान का सार्वजनिक कर्ज बढ़कर करीब 27.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. पाकिस्तान इस तरह अब कर्ज हेतु निर्धारित उच्चतम सीमा को भी पार कर चुका है. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) द्वारा हाल में जारी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अप्रैल 2019 में यह अनुमान जारी किया था कि साल 2018-19 में पाकिस्तान का वित्तीय घाटा जीडीपी के 7.9 प्रतिशत तक होगा और साल 2019-20 में यह बढ़कर 8.7 प्रतिशत हो जाएगा.
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पृष्ठभूमि:
इस समझौता पर 29 अप्रैल से ही अधिकारियों के बीच मैराथन बातचीत और बैठकों का दौर चल रहा था. हालांकि, पहले यह समझौता 7 मई तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन अंतिम सहमति 12 मई 2019 को ही बन पाई. इस समय पाकिस्तान भयंकर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान को इस हालत से उबारना है.
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