आयकर विभाग ने 01 जून 2018 को संशोधित आयकर मुखबिर पुरस्कार योजना 2018 जारी किया हैं.
संशोधित योजना के अंतर्गत भारत में आय और परिसंपत्तियों पर कर चोरी के बारे में आयकर विभाग में जांच निदेशालय के निर्दिष्ट अधिकारियों को तय प्रक्रिया के अंतर्गत विशेष सूचना देने वाले व्यक्ति 50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्राप्त कर सकता है.
उद्देश्य:
काले धन का पता लगाने और कर चोरी में कमी लाने के आयकर विभाग के प्रयासों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से आयकर विभाग ने नई पुरस्कार योजना जारी की है. यह योजना वर्ष 2007 में जारी पुरस्कार योजना का स्थान लेगी.
संशोधित आयकर से संबंधित मुख्य तथ्य:
भारत सरकार ने इससे पहले काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) तथा करारोपण अधिनियम 2015 लागू किया था ताकि भारत में कर योग्य लोगों द्वारा विदेशों में रखी गई आय और परिसंपत्तियों की जांच की जा सके.
इन पर करों की वसूली की जा सके तथा दंड और मुकदमे जैसे कदम उठाए जा सकें. काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) तथा करारोपण अधिनियम, 2015 के अंतर्गत कार्रवाई योग्य ऐसी आय और परिसंपत्तियों के बारे में सूचना देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नई पुरस्कार योजना शामिल किया गया है.
संशोधित पुरस्कार योजना के ब्यौरे आयकर मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018 में उपलब्ध है जिसकी कॉपी आयकर कार्यालयों में तथा आयकर विभाग की वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध है.
पुरस्कार योजना:
नई पुरस्कार योजना में 5 करोड़ रुपये तक का पुरस्कार शामिल किया गया है. पुरस्कार राशि अधिक रखी गई है ताकि विदेशों के संभावित स्रोत आकर्षित हो सकें.
इस योजना के अंतर्गत काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) तथा करारोपण अधिनियम, 2015 के तहत कार्रवाई योग्य विदेशों में आय और परिसंपत्तियों पर कर चोरी के बारे में तय प्रक्रिया के अंतर्गत विशेष सूचना देने वाले व्यक्ति पुरस्कार राशि प्राप्त कर सकता है.
इस योजना के अंतर्गत सूचना निर्धारित प्रक्रिया में आयकर महानिदेशक (जांच) या अधिकृत अधिकारी को देनी होगी.
विदेशी भी पुरस्कार पाने के पात्र:
इस योजना के लिए विदेशी भी पुरस्कार पाने के पात्र होंगे. सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान प्रकट नहीं की जाएगी और पूरी गोपनीयता बरती जाएगी.
पृष्ठभूमि:
अनेक मामलों में यह पाया गया है कि दूसरों के नामों से संपत्तियों में काले धन का निवेश किया जा रहा है यद्यपि इसका लाभ निवेशक द्वारा अपने आयकर रिटर्न में लाभकारी स्वामित्व को छुपा कर लिया जा रहा है। सरकार ने इससे पहले बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम, 1988 में बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से संशोधन किया था ताकि कानून को और मजबूत बनाया जा सके.
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