भारत और म्यांमार ने साल 2021 की पहली तिमाही तक सित्तवे बंदरगाह के परिचालन को शुरू करने पर सहमति जताई. सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने म्यामांर की यात्रा के दौरान कहा कि कोरोना महामारी (कोविड-19) के बावजूद अगले वर्ष 2021 की पहली तिमाही तक सित्तवे पोर्ट पर ऑपरेशन शुरू कर दिया जाएगा.
इस यात्रा के दौरान केंद्रीय विदेश सचिव और भारतीय सेना प्रमुख ने म्यांमार की स्टेट काउंसलर ‘आंग सान सू की’ और कमांडर इन चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेज़, सीनियर जनरल मिन आंग हलिंग से मुलाकात की. इस यात्रा के दौरान कोविड-19 से लड़ने में म्यांमार का सहयोग के रूप में म्याँमार की स्टेट काउंसलर को भारत द्वारा रेमेडिसविर की 3000 शीशियाँ प्रदान की गईं.
2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान की घोषणा
भारतीय पक्ष ने उग्रवादी गुटों के 22 कैडरों को सौंपने के लिए भी म्यांमार की प्रशंसा की. भारत द्वारा म्यांमार के चिन राज्य (Chin State) में बायन्यू/सरिसचौक में सीमा बाज़ार के निर्माण के लिये 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान की घोषणा की गई. यह पहल मिज़ोरम और म्यांमार के बीच संपर्क को बेहतर बनाने में सहायक होगी.
चाबहार के तर्ज पर म्यांमार के सित्तवे पोर्ट का विकास
पूर्वोत्तर के राज्यों से संपर्क को और मजबूत करने हेतु भारत चाबहार के तर्ज पर म्यांमार के सित्तवे पोर्ट को विकसित कर रहा है. इस पोर्ट की सहायता से मिजोरम और मणिपुर समेत पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्यों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. यह पोर्ट म्यांमार के राखाइन राज्य में स्थित है. माना जा रहा है कि यह पोर्ट साल 2021 के पहले तीन महीनों में चालू हो जाएगा.
इस परियोजना के पूरे होने पर कोलकाता और मिज़ोरम के बीच की दूरी लगभग 1800 किलोमीटर से घटकर लगभग 930 किमी. (म्यांमार के रास्ते) हो जाएगी. सित्तवे पोर्ट से मिजोरम स्थित एनएच-54 की दूरी महज 140 किलोमीटर की है. अभी कोलकाता पोर्ट से मिजोरम किसी वस्तु को पहुंचाने में 1880 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है जबकि सित्तवे पोर्ट का इस्तेमाल करने से यह दूरी आधी से भी कम रह जाएगी.
म्यांमार में भारत का बड़ा निवेश
म्यांमार में भारत सित्तवे पोर्ट के अतिरिक्त सित्तवे और पलेत्वा में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन टर्मिनल का भी निर्माण कर रहा है. इस परियोजना को मई 2017 में मंजूरी दी गई थी. इसकी लागत 78 मिलियन डॉलर आंकी गई है. इस पोर्ट को संचालित करने वाली एजेंसी ने 01 फरवरी 2020 से संचालन का जिम्मा भी संभाल लिया है.
यह परियोजना क्यों महत्वपूर्ण है?
सित्तवे पोर्ट भारत के कालदान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना का हिस्सा है. इस परियोजना के पूरा होते ही न केवल म्यांमार के साथ कनेक्टिविटी बढ़ेगी बल्कि भारत के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में माल के परिवहन के लिए परिवहन गलियारा भी बनेगा. म्यांमार की वर्तमान सरकार भारत के साथ मिलकर सीमाई क्षेत्र में और भी कई परियोजना पर काम कर रही है.
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