भारत ने सऊदी अरब के साथ समुद्री मार्ग से हज यात्री भेजने के लिए समझौता किया गया है. समझौते के तहत सऊदी अरब ने भारत द्वारा समुद्र मार्ग से हज यात्रियों को भेजने के विकल्प को स्वीकार कर लिया है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भारत से पहली बार मुस्लिम महिलाएं पुरुष साथी के बिना हज यात्रा के लिए जायेंगी.
इस संबंध में केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और अरब राज्य के हज और उमराह मंत्री डॉ. मोहम्मद सालेह बिन ताहिर बेंटन द्वारा दोनों देशों के लिए मक्का में वार्षिक हज समझौता-2018 पर हस्ताक्षर किये गये.
समझौते की विशेषताएं
• हज यात्रा-2018 को 100 प्रतिशत डिजिटल/ऑनलाइन किया गया है.
• पहली बार मुस्लिम महिलाएं भारत से ‘मेहरम’ (पुरूष साथी) के बिना जाएंगी. सऊदी अरब में इन महिला हज यात्रियों के लिए अलग आवास और परिवहन व्यवस्था का प्रबंध किया गया है और उनकी सहायता के लिए महिला हज सहायकों को भी तैनात किया जाएगा.
• भारत की नई हज नीति के अनुसार बिना पुरूष साथी के 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को चार या उससे अधिक के समूहों में हज यात्रा पर जाने की अनुमति दी गई है.
• सरकार के पास हज 2018 के लिए लगभग 3 लाख 59 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं.
• पहली बार आरोहण के लिए हज यात्रियों को एक अन्य स्थल चुनने का विकल्प दिया गया है. यह सुनिश्चित किया गया है कि हज सब्सिडी को हटाने के बाद भी हज यात्रियों पर कोई वित्तीय बोझ न पड़े.
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समझौते के लाभ
• इस समझौते का एक लाभ यह भी है कि आजकल उपलब्ध समुद्री पोत एक बार में 4000 से 5000 यात्रियों को ले जाने में सक्षम हैं.
• ये समुद्री पोत मुम्बई और जेद्दाह के बीच 2300 समुद्री मील की एक तरफ की यात्रा तीन से चार दिन में पूरी कर सकते हैं, जबकि पहले के पुराने समुद्री पोतों द्वारा यह दूरी तय करने में 12 से 15 दिन लग जाते थे.
• समुद्री पोतों से हज यात्रियों को भेजने से यात्रा व्यय में काफी कमी आएगी. यह एक क्रांतिकारी, निर्धनों के पक्ष में तथा हज यात्रियों के अनुकूल निर्णय है.
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