भारत के प्रथम श्रेणी के सबसे वयोवृद्ध क्रिकेटर वसंत रायजी का 13 जून 2020 को निधन हो गया. वे 100 साल के थे. उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां है. उनके निधन पर सचिन तेंदुलकर और बीसीसीआई ने शोक व्यक्त किया है. सचिन तेंदुलकर ने वसंत रायजी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए छह महीने पहले उनकी मुलाकात को याद किया.
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी. बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि बीसीसीआई को यह जानकर दुख हुआ कि प्रथम श्रेणी के पूर्व क्रिकेटर और इतिहासकार वसंत रायजी का निधन हो गया. उन्होंने इस साल 26 जनवरी को अपना 100वां जन्मदिन मनाया था.
I met Shri Vasant Raiji earlier this year to celebrate his 100th birthday. His warmth and passion for playing and watching Cricket was endearing.
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) June 13, 2020
His passing away saddens my heart. My condolences to his family & friends. pic.twitter.com/fi8dOP7EnI
पहला मैच 1941 में खेला था
दाएं हाथ के बल्लेबाज वसंत रायजी ने साल 1941 में मुंबई के लिए अपना पहला मैच खेला और विजय मर्चेंट की कप्तानी में पारी की शुरुआत की. यह मैच ड्रॉ रहा था. भारत ने जब 1933 में बॉम्बे में अपना पहला घरेलू टेस्ट खेला था. तब वसंत रायजी 13 साल के थे.
वसंत रायजी के बारे में
• वसंत रायजी का जन्म 26 जनवरी 1920 को हुआ था. वसंत रायजी ने 1940 के दशक में नौ प्रथम श्रेणी मैच खेले थे जिसमें 277 रन बनाए थे. उनका उच्चतम स्कोर 68 रन था. इतिहासकार रायजी तब 13 साल के थे, जब भारत ने दक्षिण मुंबई के बांबे जिमखाना में पहला टेस्ट मैच खेला था.
• वसंत रायजी भारतीय क्रिकेट की संपूर्ण यात्रा के गवाह रहे हैं. वे बंबई (अब मुंबई) और बड़ौदा के लिए खेला करते थे. वसंत रायजी ने लाला अमरनाथ, विजय मर्चेंट, सीके नायडू और विजय हजारे के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया है. उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं.
• उन्होंने साल 1939 में क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया की टीम के लिए पदार्पण किया. वे नागपुर में मध्य प्रांत और बरार के खिलाफ खेलने वाली टीम का हिस्सा थे.
• रायजी क्रिकेट इतिहासकार और चार्टर्ड अकाउंटेंट भी थे. बीसीबीआई ने बताया कि रायजी मुंबई में जॉली क्रिकेट क्लब के संस्थापक सदस्य थे.
• उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद लेखन का काम किया था. भारतीय क्रिकेट के शुरुआती इतिहास पर कई महत्वपूर्ण किताबें भी लिखीं.
• हालांकि वे पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट थे. साल 2016 में बीके गुरुदाचार के निधन के बाद रायजी देश के सबसे बुजुर्ग प्रथम श्रेणी क्रिकेटर बने थे.
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