भारत ने जलवायु परिवर्तन हेतु किये गये अंतरराष्ट्रीय समझौते क्योटो प्रोटोकॉल की दूसरी प्रतिबद्धता अवधि की 08 अगस्त 2017 को पुष्टि की.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूत ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत क्योटो प्रोटोकॉल में दोहा संशोधन को स्वीकृति प्रदान की है.
इसी के साथ भारत क्योटो प्रोटोकॉल की दूसरी प्रतिबद्धता अवधि से संबंधित संशोधन को स्वीकार करने वाला 80वां देश बन गया. गौरतलब है कि क्योटो प्रोटोकॉल का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्सर्जन में कमी लाना है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर भारत का रुख बरकरार है. भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल में दोहा संशोधन को स्वीकृति दे दी है.
क्योटो प्रोटोकॉल
• यह एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संधि है जिसे संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में तय किया गया था.
• इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य है, वायुमंडल में ग्रीनहॉउस गैस का घनत्व ऐसे मात्रा पर स्थिर रखना जिससे मनुष्य जीवन द्वारा जलवायु में कोई हानिकारक रुकावट उत्पन्न न हो.
• क्योटो प्रोटोकोल के अनुसार "विभिन्न देशों द्वारा उत्पन्न चार ग्रीनहॉउस गैसों (कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर हेक्साफ्लोराइड) में कानूनी तौर पर कटौती करना आवश्यक है.
• इस समझौते पर लगभग 200 देशों ने अपनी सहमति प्रकट की है जिसकी सहायता से विश्व के बढ़ते तापमान को एक निर्धारित स्तर पर रोका जा सके.
• 08 दिसंबर 2016 को दोहा, कतर में ‘क्योटो प्रोटोकॉल के दोहा संशोधन’ को अपनाया गया था.
• क्योटो प्रोटोकॉल की प्रथम प्रतिबद्धता अवधि का कार्यकाल वर्ष 2008 से 2012 था जबकि दूसरी प्रतिबद्धता अवधि का कार्यकाल 2013 से 2020 तक है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation