भारत ने स्वदेश में विकसित ‘एचएसटीडीवी’ का सफल परीक्षण किया, जाने विस्तार से

Jun 14, 2019, 14:41 IST

एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले यान के लिए मानवरहित प्रदर्शक वाहन है. यह 20 सेकेंड में मैक-छह की रफ्तार और 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है.

DRDO successfully test fired HSTDV
DRDO successfully test fired HSTDV

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा तट से हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण किया. डीआरडीओ ने यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-चार से किया.

डीआरडीओ ने भविष्य के मिशनों में इस्तेमाल होने वाली महत्त्वपूर्ण तकनीक के परीक्षण हेतु टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल का परीक्षण किया. डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी और आईटीआर के निदेशक बी के दास सहित वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण किया गया.

एचएसटीडीवी क्या है?

एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले यान के लिए मानवरहित प्रदर्शक वाहन है. यह 20 सेकेंड में मैक-छह की रफ्तार और 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है. भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिसके पास ऐसी प्रौद्योगिकी होगी. एचएसटीडीवी परियोजना पिछले कुछ साल से चल रही थी.

हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर प्रयोग किए जाने के अतिरिक्त यह एक दोहरे उपयोग की प्रौद्योगिकी है जो कई असैन्य कार्यों में भी प्रयोग की जाएगी. बेहद कम लागत पर उपग्रहों के प्रक्षेपण में भी इसका इस्तेमाल होगा. इसका प्रयोग कई असैन्य कार्यों में भी किया जाएगा. इससे कई नागरिक उद्देश्यों की भी पूर्ति हो सकेगी. साथ ही इसके जरिए कम खर्चे पर सैटलाइट की लॉन्चिंग हो सकेगी.

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स्क्रैमजेट तकनीक के बारे में:

इस परियोजना के तहत हम स्क्रैमजेट इंजन से लैस हाइपरसोनिक यान को विकसित कर रहे हैं. यह वजन में हल्का होने के कारण अन्तरिक्ष खर्च में लगभग 90 प्रतिशत की कमी आएगी. इसरो ने स्क्रैमजेट इंजन को तैयार किया है. इसमें ईंधन के रूप में हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल किया जाता है. इस परीक्षण के लिए इसरो के उन्नत प्रौद्योगिकी यान (एटीवी) का इस्तेमाल किया गया.

ये देश कर चुके हैं हाइपरसोनिक विमान का सफल परीक्षण:

चीन ने हाल ही में अपने पहले हाइपरसोनिक (ध्वनि से तेज रफ्तार वाले) विमान शिंगकॉन्ग-2 या स्टारी स्काय-2 का सफल परीक्षण किया है. यह विमान परमाणु हथियार ले जाने और दुनिया की किसी भी मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणाली को भेदने में सक्षम है. हालांकि सेना में शामिल होने से पहले इसके कई परीक्षण किए जाएंगे. अमेरिका और रूस भी हाइपरसोनिक विमान का परीक्षण कर चुके हैं.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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