भारत ने हाल ही में दो मोबाइल हार्बर क्रेन ईरान के चाबहार बंदरगाह को भेजी हैं. ये क्रेन 2.5 करोड़ डॉलर (लगभग 185 करोड़ रुपये) की हैं. इन क्रेनों से बंदरगाह पर माल के प्रबंधन के कार्य में तेजी आएगी. भारत ने कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार होते ही बंदरगाह के विकास का कार्य तेज किया है.
भारत ने 18 जनवरी 2021 को कहा कि उसने 2.5 करोड़ डॉलर से अधिक के एक सौदे में ईरान के चाबहार बंदरगाह को दो मोबाइल हार्बर क्रेन (एमएचसी) की आपूर्ति की है. इस कदम से बंदरगाह को बिना बाधा के माल चढ़ाने-उतारने में मदद मिलेगी.
नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने क्या कहा?
बंरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को दो एमएचसी की आपूर्ति की है. यह खेप 6 मोबाइल हार्बर क्रेन (एमएचसी) की आपूर्ति के लिए किये गये एक अनुबंध समझौते के तहत भेजी गयी है. इटली के मारघेरा बंदरगाह से पहुंची क्रेनों की इस खेप को 18 जनवरी 2021 को चाबहार बंदरगाह पर सफलतापूर्वक उतार लिया गया और अभी इन क्रेनों का परीक्षण चल रहा है.
140 मीट्रिक टन भार उठाने की क्षमता
बयान में कहा गया कि 140 मीट्रिक टन भार उठाने की क्षमता से लैस मोबाइल हार्बर क्रेन (एमएचसी) जैसे बहुउद्देशीय उपकरण और सामान भारत पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) को चाबहार के शाहिद बेहेश्टी बंदरगाह में कंटेनर, बल्क और जनरल कार्गो की निर्बाध सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनायेंगे. यह चाबहार के शहीद बेहेश्ती बंदरगाह के बुनियादी ढांचे के विकास में भारत की प्रतिबद्धता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
इन क्रेन की तैनाती
चाबहार के शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह की व्यवस्थाओं में इन क्रेन की तैनाती होगी. भारत और ईरान के बीच इस बाबत समझौता हुआ है. अमेरिका ने चाबहार को विकसित करने के इस समझौते को प्रतिबंध से छूट दे रखी है. अमेरिका ने ऐसा भारत के साथ अपने संबंधों के चलते किया है.
चाबहार बंदरगाह समझौता
भारत और ईरान के बीच यह समझौता 23 मई 2016 को हुआ था. यह समझौता कुल 8.5 करोड़ डॉलर का है. इसके तहत प्रथम चरण में भारत चाबहार बंदरगाह पर उपकरण स्थापित कर रहा है, मशीनीकरण कर रहा है और उसके बाद वहां की गतिविधियों का संचालन करेगा. जहाजरानी मंत्रालय यह कार्य इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड के जरिये कर रहा है. केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि चाबहार एक रणनीतिक बंदरगाह है और इसका भारत के लिए बड़ा महत्व है.
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