भारत 1 जनवरी 2023 को 'वास्सेनार अरेंजमेंट' की प्रेसीडेंसी संभालेगा, जानें 'वास्सेनार अरेंजमेंट' के बारें में
Wassenaar arrangement: भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत, वास्सेनार व्यवस्था की प्रेसीडेंसी 1 जनवरी 2023 को संभालेगा. भारत, वास्सेनार व्यवस्था की अध्यक्षता 01 वर्ष के लिए करेगा. जानें 'वास्सेनार अरेंजमेंट' के बारें में

Wassenaar arrangement: भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत, वास्सेनार व्यवस्था (Wassenaar arrangement) की प्रेसीडेंसी 1 जनवरी 2023 को संभालेगा. इस बात की जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची कहा कि 'वास्सेनार अरेंजमेंट' एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण तंत्र है.
भारत, वास्सेनार व्यवस्था की अध्यक्षता 01 वर्ष के लिए करेगा, वास्सेनार व्यवस्था के माध्यम से सदस्य देश हथियारों के हस्तांतरण पर सूचना का आदान-प्रदान करते हैं. यह पहली बार है जब भारत इसकी अध्यक्षता करने जा रहा है.
India took over the Plenary Chairmanship of Wassenaar Arrangement from Ireland today. Formal assumption on 1st Jan 2023 for one year. This is the 1st time that India chairs a multilateral export control regime.https://t.co/x1VvlgVBQi pic.twitter.com/wiDBjdSuwR
— India in Austria (@IndiainAustria) December 1, 2022
'वास्सेनार अरेंजमेंट' के बारें में:
'वास्सेनार अरेंजमेंट' की स्थापना पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में पारदर्शिता लाने के लिए किया गया था. जिसकी मदद से देकर क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सकता है. साथ ही यह परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों और उपकरणों के निर्यात और हस्तांतरण के लिए एक जिम्मेदार अंतर्राष्ट्रीय समूह में से एक है.
इसकी 1996 में बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रणों के लिए शीत युद्ध-काल की समन्वय समिति की जगह लेने के लिए अस्तित्व में आया था. इसका नाम द हेग के एक उपनगर वास्सेनार से आया था जहाँ 1995 में इस तरह के बहुपक्षीय सहयोग को शुरू करने का समझौता हुआ था.
'वास्सेनार अरेंजमेंट' के सदस्य देश:
'वास्सेनार अरेंजमेंट' में कुल 42 सदस्य देश है, जिसमें से एक भारत भी है.इन देशों की यह जिम्मेदारी होती है कि हथियारों के हस्तांतरण के लिए राष्ट्रीय नीतियों को शांतिपूर्वक लागू किया जाय. भारत को 07 दिसम्बर 2017 को 'वास्सेनार अरेंजमेंट' के 42वें सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.
'वास्सेनार अरेंजमेंट' का महत्व:
'वास्सेनार अरेंजमेंट' क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता में योगदान करता है. साथ ही पारंपरिक हथियारों और प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में पारदर्शिता लाने का काम करती है जिस कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है.
यह सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के लिए निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने में भी मदद करता है.
'वास्सेनार अरेंजमेंट' और भारत:
भारत 'वास्सेनार अरेंजमेंट' में 7 दिसंबर 2017 को 42वें सदस्य के रूप में शामिल हुआ था. इसमें शामिल होने से भारत को दोहरे उपयोग वाली तकनीक के लिए भी मान्यता मिल गयी थी. साथ ही इसकी मदद से भारत अपनी रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्रों की मांगों को पूरा करने में सक्षम होगा.
वास्सेनार व्यवस्था में भागीदारी ने भारत के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) का सदस्य बनने के द्वार खोल दिए हैं, जिसमें शामिल होने के लिए भारत लगातार प्रयास कर रहा है. अतः हम कह सकते है कि यह ग्रुप भारत के नजरिये से बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. साथ ही भारत इसकी अध्यक्षता भी करने जा रहा है.
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