वर्ष, 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचेगा भारत; उद्योग स्थिरता पर भी देना होगा ध्यान
भारत के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 13 नवंबर, 2021 को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में एक पूर्ण सत्र में भाग लिया.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 25 नवंबर, 2021 को जोर देकर यह कहा कि, भारत वर्ष, 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंच जाएगा और उद्योग स्थिरता पर भी गंभीरता से ध्यान देना होगा. "जलवायु परिवर्तन के स्थायी कारोबारों पर प्रभाव को महसूस करते हुए, भारत में कॉर्पोरेट और औद्योगिक घराने अधिक लचीले बनने के लिए पर्यावरण, सामाजिक और शासन पहलू पर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं".
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री का COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में संबोधन: प्रमुख पॉइंट्स
- उन्होंने ICC के साथ एक आभासी सत्र में यह कहा कि, "जलवायु परिवर्तन के स्थायी कारोबारों पर प्रभाव को महसूस करते हुए, भारत में कॉर्पोरेट और औद्योगिक घराने अधिक लचीले बनने के लिए पर्यावरण, सामाजिक और शासन पहलू पर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं"
- "एक राष्ट्र के रूप में हम वर्ष, 2070 तक कार्बन डाइऑक्साइड का जितना उत्पादन करते हैं, उतना ही कार्बन डाइऑक्साइड अपने वातावरण से हटाकर हम शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंच जाएंगे.
- "जैसा कि हम सभी जानते हैं, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अब भविष्य की भविष्यवाणी नहीं हैं. हम पहले से ही इसके प्रभाव को अकाल, असामयिक चक्रवातों, लंबी गर्मी की लहरों और बदलते मौसम के मिजाज के माध्यम से महसूस कर रहे हैं."
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- COP-26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि, भारत वर्ष, 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करेगा.
- उन्होंने आगे यह भी कहा कि, जलवायु चुनौती से निपटने में उद्योग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है.
- श्री यादव ने फिर कहा कि, "भारत इस अवसर के मुताबिक खुद को साबित करने के लिए अपने उद्योग पर भरोसा करता है और प्रदूषण के खिलाफ़ युद्ध में एक जिम्मेदार, सक्षम और कुशल भागीदार की भूमिका निभाने के लिए भारत दुनिया के सामने अपना उदाहरण पेश करता है, हम इस ग्रह को बचाने के लिए लड़ रहे हैं, केवल एक ही ग्रह हमारे पास है." मंत्री ने आगे यह कहा, "जलवायु परिवर्तन का खतरा भविष्य के लिए नहीं है, लेकिन हम इसके बीच में हैं".
- श्री यादव ने फिर यह कहा कि, बारिश के बदलते पैटर्न, बड़े पैमाने पर जंगल की आग, बाढ़ और चक्रवातों की बढ़ती संख्या और आसपास हो रही अन्य चीजों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
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