भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ में सहयोग के लिए इसरो और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ने 15 अप्रैल 2021 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते की घोषणा भारत की यात्रा पर आए फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां इव लि द्रीयां के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुख्यालय के दौरे के दौरान की गई.
इसरो ने फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ‘सेंटर नेशनल डी’इट्यूड्स स्पेतियल्स’ (सीएनईएस) से गगनयान मिशन में मदद करने और इस कार्य में इसके एकल यूरोपीय सहयोगी के रूप में सेवा देने को कहा है.
फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ने क्या कहा?
फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि समझौते के तहत सीएनईएस भारत के ‘फ्लाइट फिजीशियन’ और सीएपीसीओएम मिशन नियंत्रण टीमों को सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण एप्लीकेशन्स के विकास के लिए फ्रांस में सीएडीएमओएस केंद्र में तथा अंतरिक्ष अभियानों के लिए सीएनईएस के ताउलेस अंतरिक्ष केंद्र में तथा जर्मनी के कोलोग्ने स्थित यूरोपीय अंतरिक्षयात्री केंद्र (ईएसी) में प्रशिक्षण देगा.
चिकित्सा उपकरणों का इस्तेमाल
समझौते के तहत सीएनईएस, इस मिशन के दौरान वैज्ञानिक प्रयोग योजना के क्रियान्वयन, भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा फ्रांसीसी उपकरणों, उपभोज्य वस्तुओं और चिकित्सा उपकरणों का इस्तेमाल किए जाने जैसी चीजों में सहयोग करेगा.
फ्रांसीसी उपकरण
सीएनईएस द्वारा विकसित फ्रांसीसी उपकरण परीक्षणों में खरे उतर चुके हैं और ये अब भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) में काम कर रहे हैं तथा ये भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के काम आएंगे.
‘गगनयान’ मिशन: एक नजर में
‘गगनयान’ मिशन के तहत 2022 में भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में भारतीय भूमि से अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है. हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण मिशन में विलंब हो चुका है.
भारत-फ्रांस संबंध
भारत और फ्रांस के संबंध परम्परागत रूप से मैत्रीपूर्ण रहे हैं. भारत की आजादी के बाद से ही फ्रांस भारत के लिए यूरोपीय देशों में सबसे महत्वपूर्ण रहा है. भारत और फ्रांस के संबंध सर्वकालिक एवं सदाबहार रहे हैं, दोनों देशों के बीच संबंध के क्षेत्र में पर्याप्त विविधता और गहराई है. पहले के मधुर सामरिक संबंधों के साथ ही वर्तमान में भी दोनों देश जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के मुद्दे पर एक-दूसरे को समर्थन प्रदान कर रहे हैं.
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