भारतीय वायु सेना ने आइसोलेटेड ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक एयर बॉर्न रेस्क्यू पॉड (ARPIT) डिजाइन, विकसित और प्रतिष्ठापित किया है. यह कोविड -19 सहित विभिन्न संक्रामक रोगों से पीड़ित रोगियों को अलग-थलग, बहुत ऊंचाई और दूरदराज के क्षेत्रों से निकालने में मदद करेगा.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, हवाई यात्रा के दौरान कोविड -19 रोगियों से संक्रामक एरोसोल के प्रसार को रोकने वाली सुविधा के साथ ही एक हवाई निकासी प्रणाली की आवश्यकता थी. इस पोड का पहला प्रोटोटाइप 3 बीआरडी एएफ में तैयार किया गया था और जिसमें कई संशोधन किये गए थे.
विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मानिर्भर भारत’ के आह्वान का समर्थन करने के लिए इस पोड को बनाने के लिए केवल स्वदेशी सामग्री का ही उपयोग किया गया है. डिजाइन प्रणाली केवल 60,000 रुपये की लागत से विकसित की गई है.
भारतीय वायु सेना ने ARIPT के बारे में जानकारी को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी साझा किया है.
भारतीय वायु सेना ने आइसोलेटेड ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक एयर बॉर्न रेस्क्यू पॉड (ARPIT) डिजाइन, विकसित और प्रतिष्ठापित किया है. यह कोविड -19 सहित विभिन्न संक्रामक रोगों से पीड़ित रोगियों को अलग-थलग, बहुत ऊंचाई और दूरदराज के क्षेत्रों से निकालने में मदद करेगा.
ARPIT क्यों होगा फायदेमंद?
आइसोलेशन सिस्टम उपयुक्त संख्या में एयर एक्सचेंज, इंटुबेटेड मरीज के लिए वेंटिलेशन सुविधा और चिकित्सा निगरानी उपकरणों के समन्वयन की जरूरत को पूरा करेगा.
यह एयरक्रू, परिवहन में शामिल स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों और ग्राउंड क्रू में संक्रमण के जोखिम को रोकने के लिए आइसोलेशन चैंबर में उच्च सतत नकारात्मक दबाव उत्पन्न करेगा.
यह हवाई बचाव पॉड हाई एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर (HEPA) H-13 श्रेणी के फिल्टर का उपयोग करता है. यह ट्रांसपोर्ट वेंटिलेटर के इस्तेमाल के द्वारा इनवेसिव वेंटिलेशन में भी सहायता करता है.
पॉड मॉनिटरिंग इंस्ट्रूमेंट्स (मल्टीपैरा मॉनिटर, इन्फ्यूजन पंप, पल्स ऑक्सीमीटर, आदि के साथ डिफाइब्रिलेटर) और लाइफ सपोर्ट इंस्ट्रूमेंट्स, हाई एंड्योरेंस के साथ पावर पैक और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा इस्तेमाल के लिए लॉन्ग आर्म ग्लव्स की व्यवस्था करेगा.
यह प्रणाली कैसे विकसित की गई?
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में उल्लेख किया गया है कि इस प्रणाली को हल्के वजन वाली आइसोलेशन प्रणाली के तौर पर विकसित किया गया है जो विमानन प्रमाणित सामग्री से बना है. इसमें रोगी दृश्यता बढ़ाने के लिए एक टिकाऊ और पारदर्शी कास्ट पर्पेक्स है. यह मौजूदा मॉडलों की तुलना में अधिक, बड़ा और व्यापक है. इस प्रणाली को केवल 60,000 रूपये की लागत पर विकसित किया गया है. जोकि ऐसी किसी आयातित प्रणाली की तुलना में काफी कम है जिसकी लागत साठ लाख रुपये है.
इस जानकारी में यह भी बताया गया है कि इस प्रणाली के डिजाइन की विभिन्न आवश्यकताओं को अस्पतालों एवं स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NABH), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) और रोग नियंत्रण केंद्र (CDC), संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के आधार पर विकसित किया गया है. भारतीय वायु सेना में अब तक कुल 7 ARPITS को शामिल किया गया है.
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