कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल /CSL) ने भारतीय तटरक्षक बल के जहाज आईसीजीएस आयुष को 18 फरवरी 2017 को कोच्चि, केरल में सेना के सुपुर्द कर दिया. पोत को वाइस एडमिरल ए आर कर्वे, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिणी नौसेना कमान द्वारा सेना में शामिल किया गया.
आईसीजीएस आयुष की मुख्य विशेषताएं-
• तेज गश्ती पोत (FPV) अत्याधुनिक नौवहन और संचार उपकरणों से सुसज्जित है. इसमे एकीकृत ब्रिज सिस्टम (आईबीएस) और मशीनरी नियंत्रण प्रणाली (एमसीएस) भी एकीकृत हैं.
• आईसीजीएस आयुष जहाज विविध कार्यों जैसे निगरानी, पाबंदी, खोज, बचाव और चिकित्सा के मामले में भी सक्षम है.
• आईसीजीएस आयुष को कृष्णापट्टनम (आंध्र प्रदेश) के तटरक्षक केंद्र से प्रचालित किया जाएगा.
• पोत तटरक्षक क्षेत्र के प्रशासनिक और परिचालन नियंत्रण कमांडर के अधीन कार्यरत रहेगा.
• 50 मीटर लंबा और 7.6 मीटर चौड़ाई वाला यह पोत कोचीन शिपयार्ड द्वारा निर्मित अन्य पोतों की तुलना में आकार में काफी छोटा है.
• पोत का ऊपरी ढांचा एल्युमीनियम मिश्रधातु से निर्मित है.
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के बारे में-
• कोचीन शिपयार्ड केन्द्र सरकार द्वारा एक पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में वर्ष 1972 में स्थापित की गयी.
• पिछले साढ़े चार दशकों में, कंपनी भारतीय जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत उद्योग में एक अग्रदूत के रूप में स्थापित हुई है.
• यह यार्ड कुल भार 1,10,000 टन भार (डीडब्ल्यूटी) से 1,25,000 भार डीडब्ल्यूटी तक के जहाजों (पोतों) का निर्माण और उनकी मरम्मत करने में सक्षम है.
• इस यार्ड में भारत की सबसे बड़ी डबल पतवार एफ्रामेक्स (Aframax) टैंकरों प्रत्येक 95,000 डीडब्ल्यूटी का भी निर्माण किया जा चुका है.
• कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूरोप और मध्य पूर्व एशिया की प्रसिद्ध कंपनियों से जहाज निर्माण के आदेश सुरक्षित मिले हैं.
• यार्ड को देश के सबसे पहले स्वदेशी एयर डिफेंस शिप आईएनएस विक्रांत के निर्माण हेतु नामांकित किया गया.
• चालू वित्त वर्ष के दौरान सीएसएल ने चार तीव्र गश्ती पोत और नेशनल पेट्रोलियम कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनपीसीसी/ NPCC), अबूधाबी हेतु निर्मित एक डेक कार्गो/जैकेट लांच बार्ज प्रदान किए.
पृष्ठभूमि-
• भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड सीएसएल (CSL) के मध्य 20 अक्टूबर, 2010 में 1500 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. जिसके तहत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड को 20 तीव्र गश्ती पोतों का निर्माण करना था.
• कोचीन शिपयार्ड ने इस शृंखला के पहले पोत को 25 सितंबर, 2013 को सेना के हवाले किया. कंपनी को मार्च, 2017 तक सभी पोतों को सेना को सौंपना था. इससे पहले 30 दिसंबर, • 2016 को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने 20 तीव्र गश्ती पोतों की शृंखला के अंतिम पोत (20वें) ICGS आयुष को भारतीय तटरक्षक बल को सौंपा.
• 21 अक्टूबर, 2016 को इस शृंखला के 18वें एवं 19वें पोत क्रमशः आईसीजीएस आर्यमान और आईसीजीएस अतुल्य को भारतीय तटरक्षक बल में शामिल कर लिया गया.
आईसीजीएस आयुष का उपयोग-
• तीव्र गश्ती पोतों की मुख्य भूमिका अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ-Exclusive Economic Zone) के अंतर्गत गश्ती, मत्स्य पालन उद्योग के संरक्षण एवं निगरानी व तस्करी तथा समुद्री डकैतों के विरुद्ध अभियानों को संचालित करने में की जाती है.
• देश का अनन्य आर्थिक क्षेत्र तटरेखा से 200 समुद्री मील तक है (1 समुद्री मील, 1.8 मील के बराबर होता है).
• भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड सीएसएल (CSL) के मध्य 20 अक्टूबर, 2010 में 1500 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. जिसके तहत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड को 20 तीव्र गश्ती पोतों का निर्माण करना था.
• कोचीन शिपयार्ड ने इस शृंखला के पहले पोत को 25 सितंबर, 2013 को सेना के हवाले किया. कंपनी को मार्च, 2017 तक सभी पोतों को सेना को सौंपना था. इससे पहले 30 दिसंबर, 2016 को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने 20 तीव्र गश्ती पोतों की शृंखला के अंतिम पोत (20वें) ICGS आयुष को भारतीय तटरक्षक बल को सौंपा.
• 21 अक्टूबर, 2016 को इस शृंखला के 18वें एवं 19वें पोत क्रमशः आईसीजीएस आर्यमान और आईसीजीएस अतुल्य को भारतीय तटरक्षक बल में शामिल कर लिया गया
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