भारतीय संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान दिवस समारोह का उद्घाटन किया. समारोह में सरकार की तीन शाखाओं के बीच स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे पर बल दिया गया.
भारतीय संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति को भारत के प्रधान न्यायधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्र ने दो पुस्तकों – ‘द कंस्टिट्यूशन एट 67’ और ‘इंडियन ज्यूडिशियरीः एनुअल रिपोर्ट 2016-17’, की प्रथम प्रतियां भेंट कीं
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भारतीय संविधान दिवस का आयोजन नई दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया गया. 26 नवम्बर, 1949 को भारत का संविधान पारित किए जाने की वर्षगांठ मनाने के सिलसिले में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया.
भारतीय संविधान एक अमूर्त आदर्श मात्र नहीं है, भारतीय संविधान देश की हर गली, हर गांव और हर मोहल्ले में आम जनता के जीवन को सार्थक बनाने में सहायक है. भारतीय संविधान राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र का एक उत्कृष्ट ढांचा तैयार करता है.
भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अनुसार हमारा संविधान गतिहीन नहीं है, बल्कि एक जीवंत दस्तावेज है. संविधान सभा इस बात के प्रति सजग थी कि संविधान को नए धागों से अंतर-गुंथित करने की आवश्यकता पड़ेगी.
गतिशील जगत में लोगों की सेवा करने का यह उत्कृष्ट तरीका है, पिछले वर्षों में संसद ने संविधान में अनेक संशोधन किए हैं।
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संवैधानिक परियोजना का केंद्र बिंदु विश्वास है. एक दूसरे पर विश्वास, संस्थानों के मध्य विश्वास, देशवासियों की अच्छाई में विश्वास और भावी पीढ़ियों की बुद्धिमता पर विश्वास. विश्वास की यह भावना संवैधानिक शासन में अंतर्निहित है.
संविधान सिद्धांत-
संविधान सिद्धांत ढांचा तीन सिद्धांतों या स्तंभों : स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे पर आधारित है.
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