कोरोना महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) को बुरी तरह प्रभावित किया है. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि लंबी अवधि में जीडीपी वृद्धि दर औसतन लगभग छह प्रतिशत रहने की उम्मीद है.
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई. जीडीपी में आई ये गिरावट कोविड-19 महामारी के आर्थिक असर को दिखाती है. वहीं पिछले साल (2019-20) में यह 4 प्रतिशत रही थी. जबकि चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी ग्रोथ रेट 1.6 प्रतिशत दर्ज की गई.
For the financial year 2020-21, GDP growth at -7.3% as compared to 4.0 percent in 2019-20: Govt of India pic.twitter.com/bxSpU5skRF
— ANI (@ANI) May 31, 2021
एनएसओ ने क्या कहा?
एनएसओ ने जनवरी 2021 में जारी हुए राष्ट्रीय अकाउंट्स के पहले एडवांस एस्टिमेट्स में 2020-21 में जीडीपी में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का आकलन किया था. इसके बाद दूसरे संशोधित अनुमान में वित्त वर्ष 2020-21 में 8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया था. बता दें कि चीन ने जनवरी-मार्च 2021 में 18.3 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने क्या कहा?
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यम ने कहा कि जीएसटी पिछले साल के मुकाबले इस साल काफी बढ़ा है. पिछले साल के सितंबर महीने के बाद से जीएसटी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अप्रैल महीने में जीएसटी में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है.
राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में
राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.3 प्रतिशत रहा. यह वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान 9.5 प्रतिशत से कम है. महालेखा नियंत्रक (सीजीए) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 7.42 प्रतिशत था.
वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 4.6 प्रतिशत रहा था. मुख्य रूप से राजस्व कम होने से राजकोषीय घाटा बढ़ा है. कोरोना की दूसरी लहर को रोकने हेतु देश के आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वूर्ण राज्यों में लॉकडाऊन लगाया गया उसकी वजह से अर्थव्यवस्था फिर से कमज़ोर पड़ती दिख रही है.
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