भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी अपनी मरम्मत स्वयं करने वाली सामग्री, यहां पढ़ें विस्तृत विवरण  

Jul 27, 2021, 18:57 IST

IISER, कोलकाता के शोधकर्ताओं ने IIT, खड़गपुर के सहयोग से पीजोइलेक्ट्रिक मॉलिक्यूलर क्रिस्टल विकसित किए हैं जो अपने यांत्रिक नुकसान की मरम्मत खुद कर सकते हैं. इस आर्टिकल में पढ़ें विस्तृत विवरण.

Indian scientists discover self-repairing materials – All you need to know
Indian scientists discover self-repairing materials – All you need to know

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER), कोलकाता के शोधकर्ताओं ने IIT, खड़गपुर के सहयोग से, पीजोइलेक्ट्रिक आणविक क्रिस्टल विकसित किए हैं जो यांत्रिक प्रभाव से उत्पन्न विद्युत आवेशों के साथ अपने स्वयं के यांत्रिक/ मशीनी नुकसान की मरम्मत कर सकते हैं.

IISER, कोलकाता के अनुसंधान दल का नेतृत्व भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्वर्णजयंती फेलोशिप (2015) के प्राप्तकर्ता प्रो. सी मल्ला रेड्डी ने किया था. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा समर्थित इस शोध को 'साइंस' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.

ये पीजोइलेक्ट्रिक आणविक क्रिस्टल क्षतिग्रस्त इलेक्ट्रॉनिक घटकों जैसेकि, अंतरिक्ष यान के लिए खुद को ठीक करने की प्रक्रिया को संभव बनाते हैं, जहां बहाली के उद्देश्यों के लिए मानव पहुंच संभव नहीं होगी.

ये पीजोइलेक्ट्रिक आणविक क्रिस्टल क्या हैं?

• IISER, कोलकाता और IIT, खड़गपुर के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित पीजोइलेक्ट्रिक अणुओं को बाइपायराजोल कार्बनिक (आणविक) क्रिस्टल कहा जाता है.
• ये क्रिस्टल यांत्रिक प्रभाव से उत्पन्न विद्युत आवेशों के साथ अपने यांत्रिक नुकसान की मरम्मत स्वयं कर सकते हैं.

पीजोइलेक्ट्रिक आणविक क्रिस्टल कैसे काम करते हैं?

• IISER, कोलकाता के प्रोफेसर निर्मल्या घोष ने पीजोइलेक्ट्रिक आणविक क्रिस्टल का अध्ययन और विस्तार करने के लिए एक कस्टम-डिज़ाइन्ड ध्रुवीकृत सूक्ष्म प्रणाली को शामिल किया.
• ये क्रिस्टल बिना किसी बाहरी निगरानी या मरम्मत के किसी भी यांत्रिक प्रभाव के बाद क्रिस्टलोग्राफिक परिशुद्धता के साथ मिलीसेकंड में पुन: संयोजित और स्वायत्त रूप से अपनी मरम्मत खुद करते हैं.
• इन क्रिस्टलों में विद्युत आवेश उत्पन्न करने का अद्वितीय गुण होता है. जब यह वस्तु क्षतिग्रस्त हो जाती है या यांत्रिक प्रभाव से गुजरती है, तो दरार वाले क्षेत्रों में एक विद्युत आवेश उत्पन्न होता है, जिसके बाद, इस वस्तु के टूटे हुए टुकड़े एक दूसरे को आकर्षित करते हैं जिससे एक स्वायत्त सटीक मरम्मत होती है.

पीजोइलेक्ट्रिक आणविक क्रिस्टल का अनुप्रयोग

• IIT, खड़गपुर की टीम के डॉ. सुमंत करण और प्रो. भानु भूषण खटुआ ने यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग करने के लिए और ऐसे उपकरणों को तैयार करने के लिए पीजोइलेक्ट्रिक आणविक क्रिस्टल के प्रदर्शन का अध्ययन किया.
• ये क्रिस्टल माइक्रो-रोबोटिक्स, एक्चुएटर्स, उच्च परिशुद्धता यांत्रिक सेंसर और हाई-एंड माइक्रो-चिप्स में इस्तेमाल किये जायेंगे.
• इन क्रिस्टलों के अनुप्रयोग में आगे के शोध से, ऐसे स्मार्ट गैजेट तैयार करने में मदद मिल सकती है जो अपनी मरम्मत खुद ही करने में सक्षम होंगे.  

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