अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2019, प्रधानमंत्री मोदी ने बाघों की संख्या पर जारी की रिपोर्ट

Jul 29, 2019, 10:33 IST

विश्व भर में इस दिन बाघों के संरक्षण से सम्बंधित जानकारियों को साझा किया जाता है और इस दिशा में जागरुकता अभियान चलाया जाता है. विश्वभर में बाघों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए एक दिन बाघों के नाम समर्पित किया जाता है.

International Tiger Day 2019
International Tiger Day 2019

29 जुलाईः International Tiger Day

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस विश्व भर में 29 जुलाई 2019 को मनाया जा रहा है. यह दिवस जागरूकता दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है. विभिन्न देशों में अवैध शिकार एवं वनों के नष्ट होने के वजह से बाघों की संख्या में काफी गिरावट आई है.

विश्व भर में इस दिन बाघों के संरक्षण से सम्बंधित जानकारियों को साझा किया जाता है और इस दिशा में जागरुकता अभियान चलाया जाता है. विश्वभर में बाघों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए एक दिन बाघों के नाम समर्पित किया जाता है.

बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी की है. देशभर में बाघों की संख्यों को लेकर आंकड़ा जारी किया गया है. नए आंकड़ों के अनुसार, देश में बाघों की संख्या 2967 पहुंच गई हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 जारी किया. इसके अनुसार साल 2014 के मुकाबले बाघों की संख्या में 741 बढ़ोत्तरी हुई है.

बाघों की गणना

बाघों की गणना को लेकर इससे पहले साल 2006, साल 2010 और साल 2014 में रिपोर्ट जारी हो चुकी है. देश में बाघों के संरक्षण का यह काम राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) की देखरेख में ही चल रहा है.

उद्देश्य:

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य जंगली बाघों के निवास के संरक्षण और विस्तार को बढ़ावा देने के साथ बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. इनकी तेजी से कम हो रही संख्या को नियंत्रित करना बहुत ज़रूरी है, नहीं तो ये खत्म हो जाएंगे.

पिछले 100 सालों में बाघों की आबादी का लगभग 97 प्रतिशत खत्म हो चुकी है. 'वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड' और 'ग्लोबल टाइगर फोरम' के साल 2016 के आंकड़ों के अनुसार, विश्वभर में करीब 6000 बाघ ही बचे हैं, जिनमें से 3891 बाघ भारत में हैं. बाघों की संख्या साल 1915 में एक लाख थी.

बाघों की कुछ प्रजातियां पहले ही खत्म (विलुप्त) हो चुकी हैं. भारत उन देशों में शामिल है जिसमे बाघों की जनसंख्या सबसे अधिक है. भारत, नेपाल, रूस और भूटान में पिछले कुछ समय से बाघों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गयी है.

बाघों की आबादी में कमी की मुख्य कारण:

मनुष्यों द्वारा शहरों और कृषि का विस्तार इसका मुख्य कारण है. इस विस्तार के वजह से बाघों का 93 प्रतिशत प्राकृतिक आवास खत्म हो चुका है. बाघों की अवैध शिकार भी एक बहुत बड़ी वजह है जिसकी वजह से बाघ अब अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के विलुप्तप्राय श्रेणी में आ चुके हैं. बाघों का अवैध शिकार उनके चमड़े, हड्डियों एवं शरीर के अन्य भागों के लिए किया जाता है. इनका इस्तेमाल परंपरागत दवाइयों को बनाने में किया जाता है. कई बार बाघों की हत्या शान में भी की जाती है. इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन भी बहुत बड़ी वजह है जिससे जंगली बाघों की आबादी कम होते जा रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है जिससे जंगलों के खत्म होने का खतरा पैदा हो गया.

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राष्ट्रीय पशु:

भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ को कहा जाता है. बाघ देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि तथा धीरज का प्रतीक है. बाघ भारतीय उपमहाद्वीप का प्रतीक है. यह उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है. विश्वभर में बाघों की कई तरह की प्रजातियां मिलती हैं. इनमें 6 प्रजातियां मुख्य हैं. इनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ तथा साउथ चाइना बाघ शामिल हैं.

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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के बारे में:

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाने का फैसला साल 2010 में सेंट पिट्सबर्ग बाघ समिट में लिया गया था क्योंकि तब जंगली बाघ विलुप्त होने के कगार पर थे. इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने वादा किया था कि साल 2022 तक वे बाघों की आबादी दुगुनी कर देंगे.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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