ईरान ने चाबहार रेलवे प्रोजेक्ट से भारत को बाहर करने की खबरों को किया खारिज

Jul 16, 2020, 15:10 IST

ईरान और भारत के बीच चार साल पहले चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान सीमा पर जाहेदान तक रेल लाइन बिछाने को लेकर समझौता हुआ था.

Iran drops India from Chabahar rail project in Hindi
Iran drops India from Chabahar rail project in Hindi

ईरान ने हाल ही में चाबहार-जाहेदान रेलवे प्रोजेक्ट (Chabahar-Zahedan railway project) से भारत के बाहर किए जाने की खबरों का खंडन किया हैं. दरअसल, भारतीय अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि चाबहार प्रोजेक्ट से भारत को बाहर कर दिया गया है. 

ईरान के पोर्ट एंड मारिटाइम आर्गेनाइजेशन के फरहद मोंताजिर ने कहा कि 'यह दावा पूरी तरह गलत है. उन्होंने बताया, चाबहार में निवेश के लिए ईरान ने भारत के साथ केवल दो समझौतों पर साइन किए है. एक पोर्ट की मशीनरी और उपकरणों के लिए और दूसरा भारत के 150 मिलियन डॉलर के निवेश को लेकर है. कुल मिलाकर उन्होंने स्पष्ट किया है कि चाबहार में ईरान-भारत के सहयोग पर किसी तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं.

गौरतलब है कि ईरान और चीन के बीच 400 बिलियन डॉलर की एक महाडील होने वाली है. माना जा रहा है कि इस डील के चलते ही ईरान ने चाबहार परियोजना से भारत को बाहर कर दिया है. ये रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है.

हाल में ही ईरान ने संकेत दिए थे कि चाबहार सेक्टर में चीन की कंपनियों को बड़ी भागीदारी मिल सकता है. ईरान और चीन के बीच एक समझौते के तहत चीनी कंपनियां अगले 25 वर्षो में यहां 400 अरब डॉलर का निवेश करेंगी. ईरान के इस फैसले पर भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया था.

क्या है चाबहार रेल परियोजना?

इस परियोजना के तहत ईरान के चाबहार पोर्ट से लेकर जहेदान इलाके तक रेल परियोजना बनायी जानी है. इस रेल परियोजना को अफगानिस्तान के जरांज सीमा तक बढ़ाए जाने की भी योजना है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना को मार्च 2022 तक पूरा किया जाना है. साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान चाबहार समझौते पर हस्‍ताक्षर हुआ था. पूरी परियोजना पर लगभग 1.6 अरब डॉलर का निवेश होना था. इस परियोजना को पूरा करने के लिए इरकान के इंजीनियर ईरान गए भी थे.

भारत ने चाबहार के विकास पर अरबों रुपये खर्च किए

भारत ने ईरान के बंदरगाह चाबहार के विकास पर अरबों रुपये खर्च किए हैं. चाबहार व्यापारिक के साथ-साथ रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है. यह चीन की मदद से विकसित किए गए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से महज 100 किलोमीटर दूर है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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