भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मानव मिशन हेतु कर्नाटक के चित्रदुर्गा स्थित चल्लकेरे में विश्वस्तरीय केंद्र स्थापित करने जा रहा है. इस केंद्र से अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण से लेकर मानव मिशन से जुड़ी सभी गतिविधियां संचालित होंगी.
इसरो ने 06 जनवरी 2020 को इस केंद्र के विकास हेतु 2700 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया है. इसरो अध्यक्ष के. शिवन ने कहा कि मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम (एचएसपी) से जुड़ी सभी गतिविधियां चल्लकेरे स्थित केंद्र में स्थानांतरित हो जाएंगी. यह नया केंद्र योजना के अनुसार अगले तीन साल में तैयार होगा.
इससे संबंधित मुख्य बिंदु
• इसरो के प्रस्ताव के अनुसार, मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) अगले तीन वर्षों के भीतर काम करना शुरू कर देगा.
• वर्तमान में, मानव मिशन से जुड़ी गतिविधियां कई केंद्रों में संचालित हो रही हैं. इसमें कुछ गतिविधियां तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में चल रही हैं तथा कुछ गतिविधियां यूआर राव अंतरिक्ष केंद्र बेंगलूरु से संचालित हो रही हैं.
• हालांकि, वायु सेना का वायु चिकित्सा संस्थान (IAF) अंतरिक्ष यात्रियों के चयन और प्रशिक्षण के लिए काम कर रहा है.
चल्लकेरे अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र का महत्व
• इसरो ने इस केंद्र के विकास के लिए 2700 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है. इस केंद्र को तैयार हो जाने के बाद मानव मिशन से जुड़ी गतिविधियों हेतु कहीं और जाने की जरूरत नहीं रह जाएगी.
• गगनयान मिशन के तहत साल 2022 तक तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इस मिशन के लिए चार अंतरिक्षयात्रियों का चयन किया जा चुका है. इन अंतरिक्ष यात्रियों को जनवरी के तीसरे सप्ताह में प्रशिक्षण हेतु रूस भेजा जाएगा.
• रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी), भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) और इसरो के केंद्र हैं जो करीब 10 हजार एकड़ क्षेत्र में फैले हैं.
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नासा का अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र
नासा का अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र सबसे बड़ी और उन्नत अंतरिक्ष सुविधा केंद्रों में से एक है. अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस व्हीकल मॉक-अप सुविधा में प्रशिक्षण मिलता है. वे इसके जरिए सीखते हैं कि उन्हें स्पेस शटल का कैसे उपयोग करना और कैसे ऑर्बिट मेंटेनेस करनी है. अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता है. इस कारण से हमें हमारा भार महसूस नहीं होता. लिहाजा सारी चीजें हवा में तैरती रहती हैं. अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में जाने से पहले इसकी ट्रेनिंग दी जाती है.
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