इसरो ने 12 जनवरी 2018 को 100वां उपग्रह लॉन्च करके रिकॉर्ड कायम किया. इसरो ने यह उपग्रह सैटलाइट लॉन्चिंग वीइकल पीएसएलवी से प्रक्षेपित किया. इसरो द्वारा इस दौरान 31 उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण किया गया.
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित किये गये पीएसएलवी सी-40 से तीन स्वदेशी और 28 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया. विदेशी सैटलाइट्स में कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के उपग्रह शामिल थे.
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इसरो के 100वें उपग्रह प्रक्षेपण से जुड़े मुख्य तथ्य
• भारतीय उपग्रहों में से एक 100 किलोग्राम का माइक्रो सैटेलाइट और एक पांच किलोग्राम का नैनो सैटेलाइट शामिल है.
• अन्य 28 सैटेलाइट कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के हैं. इन सभी 31 उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है.
• अर्थ नैविगेशन के लिए प्रक्षेपित किया गया 100वां उपग्रह कार्टोसेट-2 सीरीज मिशन का प्राथमिक उपग्रह है.
• इसरो के अधिकारियों द्वारा मीडिया को दी गयी जानकारी के अनुसार 30 उपग्रहों को 505 किलोमीटर की सूर्य की समकालीन कक्ष (एसएसओ) में प्रक्षेपित किया जाएगा. एक माइक्रो सैटेलाइट 359 किलोमीटर की एसएसओ में स्थापित किया जाएगा. इस प्रक्रिया में दो घंटे 21 सेकेंड का वक्त लगेगा.
• कार्टोसेट-2 सीरीज के इस मिशन के सफल होने के बाद धरती की अच्छी गुणवत्ता वाली तस्वीरें मिलेंगी.
• इन तस्वीरों का इस्तेमाल सड़क नेटवर्क की निगरानी, अर्बन ऐंड रूरल प्लानिंग के लिए किया जा सकेगा.
इसरो के बारे में
वर्ष 1962 में जब भारत सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोंस्पार) का गठन हुआ तब भारत ने अंतरिक्ष में जाने का निर्णय लिया. दूरदृष्टा डॉ. विक्रम साराभाई के साथ इन्कोेस्पार ने ऊपरी वायुमंडलीय अनुसंधान के लिए तिरुवनंतपुरम में थुंबा भूमध्यईरेखीय रॉकेट प्रमोचन केंद्र (टर्ल्सय) की स्थापना की. आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसरो ने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित की. वर्ष 2017 में इसरो ने एक साथ 104 उपग्रहों का सफल परीक्षण करके विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था.
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