स्कूली छात्रों के लिए सैटेलाइट टीवी क्लासरूम संचालित करने में संसदीय पैनल की मदद करेगा इसरो
सैटेलाइट टीवी क्लासरूम स्कूल-आधारित शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण करेगा और छात्र क्लस्टर रूम में इसका लाभ उठा सकेंगे. इससे, खासकर ग्रामीण इलाकों में, स्मार्टफोन और डाटा कनेक्टिविटी की समस्या भी हल हो जाएगी.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 02 जुलाई, 2021 को देश में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए, सैटेलाइट टीवी कक्षाओं हेतु तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए संसदीय स्थायी समिति को अपनी मंजूरी दे दी है.
इसरो के वैज्ञानिक 02 जुलाई, 2021 को संसदीय स्थायी समिति के समक्ष उपस्थित हुए थे और स्कूल के छात्रों के लिए प्रस्तावित उपग्रह टीवी कक्षा (सैटेलाइट टीवी क्लासरूम) के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी थी. लेकिन, सैटेलाइट टीवी क्लासरूम शुरू करने के लिए उनहोंने यह पूछा कि, क्या 'राज्य इस प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के इच्छुक’ होंगे.
महत्त्व
शिक्षा के लिए संसदीय स्थायी समिति ने सैटेलाइट टीवी क्लासरूम की संभावना के बारे में पता लगाने का प्रयास किया, जो स्कूल-आधारित शैक्षिक कार्यक्रमों को प्रसारित करने में सक्षम हों.
इसका फायदा छात्र क्लस्टर रूम में उठा सकेंगे और खासकर ग्रामीण इलाकों में, इससे स्मार्टफोन और डाटा कनेक्टिविटी की समस्या भी हल हो सकेगी.
मुख्य विशेषताएं
• बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश सहित 05 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी और शिक्षा सचिव भी इस पैनल की बैठक में शामिल हुए.
• इस पैनल के लगभग 30 सदस्य कोविड-19 महामारी से प्रभावित कॉलेजों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों और खेल परिसरों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेंगे.
भारत को सैटेलाइट टीवी क्लासरूम की आवश्यकता क्यों है?
जब से मार्च, 2020 में व्यापक महामारी के कारण स्कूल बंद किए गए थे, तब से छात्रों को, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्गों के छात्रों और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को, ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच प्राप्त करने में काफी कठिन का सामना करना पड़ रहा है.
डिजिटल डिवाइड के कारण अंततः वंचित और विशेषाधिकार प्राप्त छात्रों के बीच सीखने की खाई बहुत बड़ी है, भले ही सरकार रेडियो, व्हाट्सएप या अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर संचालित होने वाली कक्षाओं के माध्यम से इस अंतर को पाटने की कोशिश करती रही है.
पृष्ठभूमि
विनय-सहस्त्रबुद्धे के नेतृत्व वाले इस संसदीय पैनल ने इससे पहले, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों से ऐसे सभी छात्रों के लिए सैटेलाइट टीवी कक्षाएं शुरू करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने की मांग की थी, जिन्होंने COVID-19 महामारी के कारण स्कूल के पाठ्यक्रम में सीखने की कमी की सूचना दी थी.
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