Jallianwala Bagh Massacre: अमृतसर के जलियांवाला बाग के नरसंहार कांड (Jallianwala Bagh Massacre) के 13 अप्रैल 2022 को 103 साल पूरे हो गए. यह घटना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन हेतु एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1919 के जलियांवाला बाघ नरसंहार में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि इन शहीदों का अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि 1919 में आज ही के दिन जलियांवाला बाग में शहीद होने वाले लोगों को श्रद्धांजलि. उनका अद्वितीय साहस एवं बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित परिसर के उद्घाटन के मौके पर दिया गया अपना भाषण साझा कर रहा हूं.
Tributes to those martyred in Jallianwala Bagh on this day in 1919. Their unparalleled courage and sacrifice will keep motivating the coming generations. Sharing my speech at the inauguration of the renovated complex of Jallianwala Bagh Smarak last year. https://t.co/zjqdqoD0q2
— Narendra Modi (@narendramodi) April 13, 2022
5 महत्वपूर्ण बातें
• गौरतलब है कि पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग नरसंहार (Jallianwala Bagh Massacre) 13 अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन हुआ था.
• जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. ये सभा पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी और रोलेट एक्ट के विरोध में रखी गई थी.
• जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं. बता दें इस नरसंहार को भारतीय इतिहास के सबसे घातक हमलों में से एक के रूप में याद किया जाता है.
• अंग्रेजों के आंकड़े बताते हैं कि जलियांवाला बाग कांड में 379 लोग मारे गए थे. हालांकि, भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के मुताबिक, उस दिन एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग दो हजार गोलियों से जख्मी हुए थे.
• ब्रिटिश सैनिकों ने महज दस मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाईं. इस दौरान जलियांवाला बाग में मौजूद लोग उस मैदान से बाहर नहीं निकल सकते थे, क्योंकि बाग के चारों तरफ घर बने थे. बाहर निकलने के लिए मात्र एक संकरा रास्ता था. भागने का कोई रास्ता न होने के वजह से लोग वहां फंस कर रह गए.
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