एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) द्वारा झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को सौंपे गए इलेक्ट्रिक वाहनों से 13 सितंबर 2018 को राज्य में इलेक्ट्रिक कारों की पहली बार शुरुआत की गई. इन कारों को राज्य के उर्जा विभाग के लिए ख़रीदा गया है.
ऊर्जा विभाग ने इन कारों को अपने अधिकारियों के उपयोग के लिए खरीदा है. सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि आज प्रदूषण रहित पर्यावरण के लिए ऐसे उपाय और उपयोग जरूरी हैं.
महत्व |
इस कार्य से झारखंड पूर्वी क्षेत्र का पांचवां राज्य बन गया है जिसने सरकारी उपयोग के लिए पर्यावरण हितैषी वाहनों का उपयोग आरंभ किया है. |
उद्देश्य |
यह वाहन न केवल प्रदूषण कम करके पर्यावरण के संरक्षण में सहायक हैं बल्कि महंगे विदेशी वाहनों पर होने वाले खर्च में भी कमी लाने में सहायक हैं. इस अवसर पर बोलते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा कि यदि पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम होती है तो इससे सभी को लाभ होगा. उन्होंने राज्य के अन्य विभागों एवं लोगों से इस प्रकार की कारों का उपयोग करने के लिए आग्रह भी किया. |
मुख्य बिंदु
• इलेक्ट्रिक कार 50 ऐसे वाहनों का हिस्सा हैं जो ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड अपने आधिकारिक उपयोग के लिए झारखंड बिजली विजन निगम (जेबीवीएनएल) को आपूर्ति करेगी.
• इस श्रेणी के लिए 20 इलेक्ट्रिक कारें डिलीवर कर दी गई हैं बाकी 30 कारें अगले दो सप्ताह में डिलीवर कर दी जायेंगी.
• झारखंड में सभी सरकारी कार्यालय जल्द ही कार्बन उत्सर्जन को कम करने और राज्य प्रदूषण मुक्त रखने में मदद करने के लिए इलेक्ट्रिक कारों का चयन शुरू कर देंगे.
• राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार लोगों को ऐसी कारें खरीदने और चार्जिंग स्टेशन खोलने के लिए अपील करेगी.
• अब तक, रांची में 12 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं और बाकी जल्द ही आरंभ होने वाले हैं.
• इस कदम से राज्य को 2030 तक इलेक्ट्रिक कारों के साथ 30 प्रतिशत सरकारी वाहनों को बदलने के केंद्र के ई-मोबिलिटी लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.
टिप्पणी
झारखंड से पहले दिल्ली, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना सरकारी काम-काज के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग आरंभ कर चुके हैं. पचास कारों के बेड़े के साथ आने से जेबीवीएनएल का हर साल 1.20 लाख लीटर ईंधन बचेगा और लगभग 14 सौ टन कार्बन डाईआक्साइड सालाना कम उत्सर्जित होगा. जेबीवीएनएल मरम्मत, देखरेख और परिचालन के क्षेत्र में भी बचत करेगा, क्योंकि इन इलेक्ट्रिक वाहनों में परिचालन पर कॉम्बस्टन इंजन के मुकाबले खर्च एक चौथाई होता है.
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