जम्मू और कश्मीर सरकार ने 02 सितंबर 2020 को केंद्र शासित प्रदेश की जैव विविधता के दस्तावेज के लिए एक 10 सदस्यीय जैव विविधता परिषद का गठन किया है. यह परिषद स्थानीय शासन निकायों के प्रतिनिधियों की मदद से पीपल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) बनाए रखेगी.
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, यह जैव विविधता परिषद राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के परामर्श से कार्य करेगी. प्रत्येक पंचायत और नगरपालिका समिति में एक पीपुल्स जैव विविधता रजिस्टर को बनाए रखने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी.
जम्मू और कश्मीर राज्य की लगभग सभी पंचायतों में इस उद्देश्य के लिए बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है.
जैव विविधता परिषद - संरचना
• इस जैव विविधता परिषद में 10 सदस्य होंगे जिसमें पांच पदेन सदस्य और पांच गैर-आधिकारिक सदस्य शामिल होंगे. इस परिषद की अध्यक्षता जम्मू और कश्मीर के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मोहित गेरा कर रहे हैं.
• जम्मू और कश्मीर वन अनुसंधान संस्थान निदेशक इस परिषद के सदस्य सचिव के तौर पर काम करेंगे. इस परिषद के अन्य सदस्यों में प्रमुख वन्यजीव वार्डन, वन विभाग के एक प्रतिनिधि और अन्य अधिकारी शामिल होंगे.
• इस परिषद के गैर-आधिकारिक सदस्यों में पूर्व IFS अधिकारी - डॉ. सीएम सेठ, डॉ. सुशी वर्मा, डॉ. अंजार खूरू, डॉ. ओम प्रकाश शर्मा और प्रोफेसर गीता सुंबली शामिल हैं.
अवधि
इस परिषद के गैर-आधिकारिक सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष की अवधि के लिए होगा.
जम्मू और कश्मीर जैव विविधता परिषद कोष
इस जैव-विविधता परिषद में वित्त विभाग की सहमति के बाद एक कोष निर्मित किया जायेगा, जिसे "जम्मू और कश्मीर जैव विविधता परिषद निधि" के नाम से जाना जाएगा.
इस परिषद द्वारा प्राप्त सभी शुल्क, प्रभार और लाभ-साझा राशि को इस कोष में जमा किया जाएगा.
अन्य जरुरी विवरण
• इस जैव विविधता परिषद द्वारा किए गए कार्य की निगरानी जैव विविधता समितियों द्वारा तीन स्तरों पर की जाएगी -
- राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण मुख्यालय
- जम्मू और कश्मीर जैव विविधता परिषद
- पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय (ULB)
• कश्मीर में ऐसी सात ULBs को छोड़कर, जो "कुछ कारणों" के कारण पूरी नहीं हुई हैं, सभी पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों में समितियों की स्थापना की जाएगी.
जम्मू-कश्मीर के एक अधिकारी के अनुसार, अब उन्हें पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) में केंद्र शासित प्रदेश की इस जैव विविधता परिषद को पंजीकृत करना होगा और यह प्रक्रिया पंचायत और ULs स्तर पर BMC के गठन के बाद शुरू होगी, जो इस जैव विविधता की संरक्षण और टिकाऊ उत्पत्ति का मुख्य स्रोत है.
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