75वें स्वतंत्रता दिवस को और ख़ास बनाने के लिए इस बार लाल किले पर स्वदेशी तोपों से सलामी दी जाएगी। डीआरडीओ की तरफ से की गयी इस घोषणा के बाद से ही हर किसी में जोश की लहर है। हर कोई भारत में बनी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम वाली तोप को देखने के लिए बेताब है।
पहली बार स्वदेश में बनी तोप से दी जाएगी सलामी
आज़ादी के बाद से ही स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किले से 21 तोपों की सलामी दी जाती है। ये सलामी अभी तक द्वितीय विश्वयुद्ध की ब्रिटिश पाउंडर-गन से दी जाती थी। लेकिन इस बार विदेशी तोपों के साथ स्वदेशी होवित्जर तोप भी इस्तेमाल की जाएंगी। डीआरडीओ के DG (R&M) ने बताया कि ATAGS हॉवित्जर दुनिया की पहली 45 किमी रेंज वाली तोप है। साथ ही ये तोप आटोमेटिक है और इसे आसानी से खींचा जा सकता है।
क्या है एटीएजीएस(ATAGS) प्रणाली ?
ATAGS का फुल फॉर्म एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम है। ये प्रोजेक्ट डीआरडीओ द्वारा वर्ष2013 में शुरू किया गया था। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य आर्मी सर्विस में मौजूद पुरानी तोपों को स्वदेशी तोपों से बदलना है। डीआरडीओ ने अपने इस सपने को साकार करने के लिए देश की मशहूर प्राइवेट कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और भारत फोर्ज लिमिटेड से हाथ मिलाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ATAGS प्रणाली से तैयार ये तोप एक ख़ास तरह का एम्यूनिशन जिसे बायमॉड्यूलर चार्ज सिस्टम कहते है को भी फायर कर सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाकि तोपों के मुकाबले 25 लीटर से अधिक की क्षमता वाली ये तोप इस बात का सबूत है कि भारत में भी बेस्ट हथियार बन सकते है। और ये हथियार हर मायने में दुनिया के किसी भी कोने में बनी तोप और हथियारों को टक्कर दे सकते हैं।
क्या होता है एटीएजीएस में ख़ास ?
भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजेर मानी जा रही ATAGS प्रणाली के अनगिनत फायदे हैं। भारत की टॉप कंपनियों द्वारा तैयार किए जा रही गन जल्द ही पहले इस्तेमाल किए जा रहे गन की जगह लेंगे। ATAGS एक 155 एमएम कैलिबर गन सिस्टम है जोकि 48 किलोमीटर की रेंज तक उच्च गतिशीलता के साथ फायर कर सकता है। इस विश्व स्तरीय गन प्रणाली में त्वरित तैनाती, रात के दौरान प्रत्यक्ष-फायर पद्धति में ऑटोमेटिक कमांड और नियंत्रण प्रणाली जैसी कई ख़ास विशेषताएं हैं।
इसके साथ ही ये तोप इसी तरह की मौजूद बाकि तोपों से वज़न में 2 टन हल्की है। जिसकी वजह से ये तोप बेहद ही कम समय में ज्यादा दूर तक गोले दागने में सक्षम है। हाई मोबिलिटी, बेहतर तैनाती, सहायक पॉवर मोड, एडवांस्ड कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस ये तोप C31 सिस्टम जैसे आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कण्ट्रोल सिस्टम के साथ भी काम कर सकती है। जल्द ही भारतीय तोपखानों का हिस्सा बनने जा रही इस तोप को बिना किसी विदेशी हस्तक्षेप के भारत में ही रिपेयर किया जा सकता है। साथ ही भारत को डिफेन्स हब बनाने की ओर अग्रसर ये विशेष प्रणाली किफायती होने के साथ ही भारत में हथियारों के आयात को कम करने में भी सक्षम नज़र आ रही है।
बताते चलें कि स्वतंत्रता दिवस के ख़ास मौके को देखते हुए होवित्ज़र तोप में जरुरी फेर बदल कर दिए गए हैं।
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