किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने विवादित संसदीय चुनावों के बाद देश में फैली उथल-पुथल को समाप्त करने के लिए 15 अक्टूबर, 2020 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
एक आधिकारिक बयान में, जीनबेकोव ने यह कहा है कि, सत्ता पर बने रहना उनके लिए देश की अखंडता और समाज में सौहार्द के बराबर महत्त्वपूर्ण नहीं थी. उन्होंने आगे यह भी कहा कि, उनके लिए "किर्गिस्तान में शांति, देश की अखंडता, हमारे लोगों की एकता और समाज में शांति सब से ऊपर है."
उनका यह निर्णय प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक विरोध के तीव्र आह्वान के बाद आया, जिसमें सूरोनबे जीनबेकोव के इस्तीफे की मांग की गई थी.
किर्गिस्तान की चुनावी उथल-पुथल
इस 4 अक्टूबर के आम चुनावों के बाद किर्गिस्तान संकट में आ गया था, जिसमें सरकार समर्थक दलों को जीत हासिल हुई थी. विपक्ष ने सरकार पर वोट खरीदने और अन्य अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इन चुनावों की कड़ी आलोचना की थी.
किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में सैकड़ों प्रदर्शनकारी एक साथ आए और उन्होंने जीनबेकोव के इस्तीफे की मांग की. यह विरोध प्रदर्शन उनके इस्तीफे तक जारी रहा.
जीनबेकोव ने 14 अक्टूबर को देश के नए प्रधानमंत्री द्वारा उनसे अपना पद छोड़ने की मांग को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था कि, वे तब तक काम पर रहेंगे जब तक कि उनके इस मध्य एशियाई देश में राजनीतिक स्थिति स्थिर नहीं हो जाती.
तब राष्ट्रपति के कार्यालय के एक आधिकारिक बयान में जोर देकर यह कहा गया था कि, "संसदीय चुनाव कराने और राष्ट्रपति चुनावों के बाद अपने देश में कानून और व्यवस्था स्थापित करने के बाद" ही वे इस्तीफा देने के लिए सहमत होंगे.
आपातकालीन स्थिति
जीनबेकोव ने राजधानी बिश्केक में आपातकाल की स्थिति लागू कर दी थी, जिसे 13 अक्टूबर को संसद द्वारा मंजूरी दी गई थी. अधिकारियों ने सप्ताहांत में बिश्केक में सैनिकों को तैनात किया था और कर्फ्यू लागू कर दिया था. इस कदम ने शहर में तनाव को कम कर दिया, लेकिन वहां के निवासियों ने लूटपाट की आशंका जताई, जो पिछले विद्रोह में शुरू हुई थी और अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए सतर्कता समूहों का गठन करना शुरू कर दिया था.
जीनबेकोव ने देश के नए प्रधान मंत्री के तौर पर पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारियों द्वारा जेल से मुक्त किए गए पूर्व विधायक, सदर झापारोव की नियुक्ति का समर्थन किया था. उन्होंने झापारोव के नए मंत्रिमंडल का भी समर्थन किया.
पृष्ठभूमि
किर्गिस्तान एक ऐसा देश है जिसमें चीन से लगी सीमा पर 6.5 मिलियन लोग रहते हैं. हालिया उथल--पुथल 15 साल में तीसरी बार हुई है जिनमें प्रदर्शनकारी किर्गिस्तान की सरकार को हटाने के लिए एकत्रित हुए हैं. इससे पहले, वर्ष 2005 और वर्ष 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपतियों के निष्कासन के दौरान भी इसी तरह की उथल-पुथल हुई थी. किर्गिस्तान पूर्व सोवियत संघ के सबसे गरीब देशों में से एक है.
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