आज की टेक्नोलॉजी भरी दुनिया में कोई भी देश किसी से पीछे नहीं रहना चाहता, चाहे वह AI टेक्नोलॉजी हो या स्पेस की रेस, हर कोई देश एक दूसरे से आगे निकलना चाहता है. इस रेस में भारत भी शामिल है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2 सितंबर को अपना पहला सौर मिशन आदित्य-L1 लांच करने जा रहा है. सूर्य से जुड़े अध्ययन के लिये कई देश पहले ही अपने स्पेस क्राफ्ट भेज चुके है जिनमें से कई महत्वपूर्ण मिशन अब भी जारी है.
PSLV-C57/Aditya-L1 Mission:
— ISRO (@isro) August 30, 2023
The preparations for the launch are progressing.
The Launch Rehearsal - Vehicle Internal Checks are completed.
Images and Media Registration Link https://t.co/V44U6X2L76 #AdityaL1 pic.twitter.com/jRqdo9E6oM
भारत का पहला सौर मिशन:
आदित्य L1 मिशन का उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है. आदित्य L1 सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन पॉइंट (L1) के पास हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जायेगा. आदित्य L1 मिशन स्पेसक्राफ्ट के पेलोड फ़ोटोस्फ़ेयर, क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (CORONA) का अध्ययन करेंगे.
आदित्य L1 मिशन सात वैज्ञानिक पेलोड (उपकरण) लेकर जायेगा. आदित्य L1 पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाने वाला इसरो का 5वां मिशन है. अभी हाल ही में भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिग की थी.
संयुक्त राज्य अमेरिका के सोलर मिशन:
पार्कर सोलर प्रोब: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने अगस्त 2018 में पार्कर सोलर प्रोब लॉन्च किया था. यह सूर्य के ऊपरी वायुमंडल कोरोना से वहां की कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन कर रहा है. नासा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह पहली बार था जब कोई स्पेस क्राफ्ट सूर्य के इतना करीब गया.
सोलर ऑर्बिटर: फरवरी 2020 में, नासा ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के साथ हाथ मिलाया और डेटा एकत्र करने के लिए सोलर ऑर्बिटर लॉन्च किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि सूर्य ने पूरे सौर मंडल में लगातार बदलते अंतरिक्ष वातावरण को कैसे बनाया और नियंत्रित किया.
एडवांस्ड कंपोज़िशन एक्सप्लोरर: नासा ने अगस्त, 1997 में एडवांस्ड कंपोज़िशन एक्सप्लोरर मिशन लांच किया था. अक्टूबर, 2006 में सौर स्थलीय रिलेशन ऑब्जर्वेटरी प्रोजेक्ट लांच किया गया था. यही नहीं नासा ने 2010 में सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी और जून 2013 में इंटरफ़ेस रीजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ लांच किया.
इसके अलावा, दिसंबर, 1995 में NASA, ESA और JAXA (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) ने संयुक्त रूप से सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्ज़र्वेटरी (SOHO) लॉन्च किया था.
यूरोपीय एजेंसी के सौर मिशन:
यूलिसिस: यूरोपीय एजेंसी भी सौर मिशन के लिए अपने स्पेस क्राफ्ट भेज चुका है. अक्टूबर, 1990 में, ईएसए ने सूर्य के ध्रुवों के ऊपर और नीचे वातावरण का अध्ययन करने के लिए यूलिसिस लॉन्च किया था. यूरोपीय एजेंसी ने अक्टूबर, 2001 में NASA और JAXA के सहयोग से Proba-2 मिशन लॉन्च किया था. ईएसए के आगामी सौर मिशनों में 2024 में प्रोबा-3 और 2025 में स्माइल मिशन लांच किया जायेगा.
जापान के सोलर मिशन:
हिनोटोरी: जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने 1981 में अपना पहला सौर अवलोकन उपग्रह, हिनोटोरी (ASTRO-A) लॉन्च किया था. इसका उद्देश्य हार्ड एक्स-रे का उपयोग करके सौर ज्वालाओं का अध्ययन करना था.
हिनोड: वर्ष 2006 में, हिनोड (SOLAR-B) लॉन्च किया गया था. जो योहकोह (SOLAR-A) का उत्तराधिकारी था. जापान ने इसे अमेरिका और ब्रिटेन के सहयोग से लॉन्च किया था.
चीन के सोलर मिशन:
चीन ने भी 8 अक्टूबर, 2022 को एडवांस्ड बेस्ड सोलर ऑब्जर्वेटरी (ASO-S) को राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र, चीनी विज्ञान अकादमी से लांच किया गया था.
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