लोकसभा ने 04 जनवरी 2019 को आधार और अन्य विधियां संशोधन विधेयक-2018 को मंजूरी दे दी. इसमें आधार संख्या रखने वाले बच्चों को 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प दिया गया है.
इस विधेयक में निजी अस्तित्वों द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा का लोप करने का प्रावधान है. विधेयक में नागरिकों की निजता सुरक्षित रखने और दुरुपयोग रोकने को भी ध्यान में रखा गया है.
आधार और अन्य विधियां संशोधन विधेयक-2018
• इसमें आधार संख्या प्राप्त करने वाले बालकों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प देने, निजी अस्तित्वों द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा का लोप करने का प्रावधान है.
• विधेयक में नागरिकों की निजता सुरक्षित रखने और दुरुपयोग को रोकने को भी ध्यान में रखा गया है.
• सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों में से 123 करोड़ लोगों ने आधार को स्वीकार किया है.
• यह सुनिश्चित किया गया है कि बैंकों और मोबाइल कंपनियों में केवाईसी फॉर्म में आधार वैकल्पिक होगा. आधार बाध्याकारी नहीं होगा. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी आधार की अनुपस्थिति में सरकारी योजनाओं से उपेक्षित नहीं रह जाए.
• अधिप्रमाणन या ऑफलाइन सत्यापन या किसी अन्य ढंग से भौतिक या इलेक्ट्रानिक रूप में आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग के लिए उपबंध करना, आधार संख्या के ऑफलाइन सत्यापन का अधिप्रमाणन केवल आधार संख्या धारक की सूचित सहमति से किया जा सकता है.
विधेयक के उद्देश्य एवं कारण
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि आधार अधिनियम 2016 भारत में निवास करने वाले व्यक्तियों को सुशासन, विशिष्ट पहचान संख्या अनुदेशित करके ऐसी सुविधाओं और सेवाओं के कुशल, पारदर्शी और लक्षित परिदान के लिए तथा उससे संबंधित एवं अनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए लाया गया था. वर्ष 2018 में 27 जुलाई को न्यायमूर्ति सेवानिवृत बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की समिति ने प्रारूप व्यक्तिगत डाटा सुरक्षा विधेयक के साथ डाटा सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों के संबंध में ‘मुक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था: निजता संरक्षण, भारतीयों का सशक्तिकरण’ नामक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और आधार अधिनियम में कुछ संशोधन सुझाए.
उच्च्तम न्यायालय की संवैधानिक खंडपीठ ने न्यायमूर्ति के एस पुट्टास्वामी (सेवानिवृत) और अन्य बनाम भारतीय संघ एवं अन्य के निर्णय में 24 अगस्त 2017 को निजता को संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन मूल अधिकार घोषित किया गया है. इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय द्वारा 26 सितंबर 2018 को लिया गया निर्णय कुछ निर्वधनों एवं परिवर्तनों के साथ अधिनियम की संवैधानिक वैधता की पुष्टि करता है.
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