लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच 03 अगस्त 2021 को ‘अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी. इस विधेयक में राष्ट्र की सुरक्षा एवं जन-जीवन और सम्पत्ति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से अनिवार्य रक्षा सेवाएं बनाये रखने का उपबंध किया गया है.
यह विधेयक संबंधित ‘अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश, 2021’ की जगह लेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाया गया है. इसका उद्देश्य यह है कि हथियारों एवं गोला-बारूद की आपूर्ति में बाधा नहीं आए.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
इस विधेयक की जरूरत को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण और सशक्त रक्षा उत्पादनों को सुनिश्चित करने हेतु यह जरूरी है. इसमें अनिवार्य रक्षा सेवाओं को बनाए रखने और अधिकांश जन जीवन और संपत्ति को सुरक्षित रखने व उससे संबंधित विषयों को शामिल किया गया है.
उन्होंने बताया कि पहले का कानून 1990 में खत्म हो चुका है. आवश्यक रक्षा आयुध सेवाओं के लिए कोई कानून नहीं था. उस समय संसद का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए मंत्रिमंडल ने 30 जून को अध्यादेश को मंजूरी दी.
आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021 क्या है?
अधिसूचना में ये बताया गया है कि कोई भी व्यक्ति, जो अध्यादेश के तहत अवैध हड़ताल का आयोजन करता है अथवा इसमें हिस्सा लेता है, उसे एक साल जेल या 10,000 रुपए तक जुर्माना या फिर दोनों सजा दी जा सकती है.
इस विधेयक में कहा गया है कि रक्षा उपकरणों के उत्पादन, सेवाओं और सेना से जुड़े किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान के संचालन या रखरखाव के साथ-साथ रक्षा उत्पादों की मरम्मत और रखरखाव में कार्यरत कर्मचारी अध्यादेश के दायरे में आएंगे.
विधेयक में ये भी कहा गया है कि इसके तहत दूसरे लोगों को आंदोलन या हड़ताल में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करना भी एक दंडनीय अपराध होगा. बीते दिनों केंद्र सरकार ने लगभग 200 वर्ष पुराने आयुध निर्माणी बोर्ड के निगमीकरण की योजना को मंजूरी दी थी.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि देश की रक्षा तैयारियों के लिये सशस्त्र बलों को आयुध मदों की निर्बाध आपूर्ति बनाये रखना और आयुध कारखानों का बिना किसी व्यवधान के कार्य जारी रखना अनिवार्य है.
रक्षा से जुड़े सभी संस्थानों में अनिवार्य रक्षा सेवाओं के अनुरक्षण को सुनिश्चित करने हेतु लोकहित में या भारत की सम्प्रभुता और अखंडता या किसी राज्य की सुरक्षा या शिष्टता या नैतिकता के हित में सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए.
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