लोकसभा ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईआईटी) संबंधित विधेयक 19 जुलाई 2017 को पारित किया. यह विधेयक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी मॉडल) से स्थापित किये जाने वाले संस्थानों से सम्बंधित है.
विधेयक के कानून बनने पर देश के 15 आईआईआईटी संस्थानों को डिग्री देने का अधिकार मिल जाएगा. लोकसभा में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा मिलने से छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा का स्तर सुधरेगा एवं उन्हें रोज़गार के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे.
इस विधेयक पर अमल के बाद उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार हो सकेंगे, जिससे मोदी सरकार के स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे अभियान सफल होंगे.
केंद्र सरकार ने पीपीपी मॉडल के इस संस्थान के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी क्रमश: 55 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 15 प्रतिशत निर्धारित की गई है.
सरकार ने इन शिक्षण संस्थानों में रिक्त पदों को भरने के लिए व्यवस्था तय करने की कवायद की है जल्द ही प्राध्यापकों के तीन सौ रिक्त पदों को भरा जाएगा. मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि शिक्षा राजनीति का नहीं, बल्कि राष्ट्रनीति का विषय है और इसके लिए सबको मिलकर काम करना चाहिए.
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