मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्यल सरकार को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इसके बजाय आधिकारिक व्यवहार में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का प्रयोग करने को कहा है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश:
• मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के अनुसार, देश के संविधान या किसी अन्यई कानून में कहीं भी ‘दलित’ शब्द का उल्लेख नहीं है.
• हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया कि दलित शब्द का इस्तेमाल किसी भी सरकारी या गैर सरकारी विभागों में न किया जाये. साथ ही कहा है कि इसके लिए अब संविधान में बताए शब्द ही इस्तेमाल में लाए जाने चाहिए.
• हाईकोर्ट ने ये फैसला सामाजिक कार्यकर्ता मोहन लाल माहौर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.
• दरअसल, मोहन लाल माहौर ने दलित शब्द पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि संविधान में इस शब्द का कोई उल्लेख नहीं है.
टिप्पणी:
आजकल हर घटना को जातिगत नजरिए से जोड़कर देखा जाता है. अगर घटना में कोई दलित शामिल है तो घटना पर कम, दलित शब्द पर ज्यादा जोर दिया जाता है.
पृष्ठभूमि:
राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग कई बार दलित शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जता चुका है. आयोग ने कई बार ये कहा है कि संविधान में अनुसूचित जाति का प्रयोग ही उचित और संवैधानिक है. इस शब्द के इस्तेमाल को लेकर लंबे अरसे से बहस चल रही थी. देश के कई राज्यों में दलित समुदाय के हितों की रक्षा के लिए विशेष कानून बनाए गए हैं. इसके बावजूद कई हिस्सों से दलित उत्पीड़न की घटनाएं सामने आती रहती हैं.
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