मलेशिया में बढ़ते आंतकवाद के खतरे से निपटने के लिए 1 अगस्त 2016 को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद कानून लागू कर दिया गया. इसका इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को चुप करने में किया जा सकता है.
यह कानून देश के प्रधानमंत्री को ऐसे सुरक्षा क्षेत्र निर्धारित करने की अनुमति देता है, जहां तैनात सुरक्षा बल बगैर वारंट के लोगों, वाहनों और इमारतों की तलाशी ले सकते हैं.
कानून में कर्फ्यू लगाने और बिना किसी आरोप के ही संदिग्ध को हिरासत में लेने की भी अनुमति दी गई है.
वर्तमान सुरक्षा जरूरतों और जेहादी आंतकवाद के लिए इस कानून को जरूरी बताते हुए इसका बचाव किया था.
हालांकि दक्षिणपूर्व एशिया के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और मानवाधिकार समूहों सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस नए कानून के खतरों से भी आगाह किया है.
नजीब सरकार ने अक्सर शांतिपूर्ण असहमतियों को दबाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों को लागू किया है.
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