मालदीव में 23 सितंबर 2018 को आयोजित राष्ट्रपति चुनावों में मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के इब्राहिम मोहम्मद सोलिह मालदीव ने जीत दर्ज की है. इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने राष्ट्रपति चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को हरा दिया.
मालदीव के चुनाव आयोग द्वारा जारी जानकारी के अनुसार इब्राहिम सोलिह को 58.3 प्रतिशत वोट हासिल हुए. इब्राहिम सोलिह को भारत की ओर झुकाव रखने वाला माना जाता है जबकि अब्दुल्ला यामीन चीनी समर्थक थे.
मालदीव राष्ट्रपति चुनाव
• राष्ट्रपति चुनावों में जीत दर्ज करने वाले 54 वर्षीय सोलिह को 2,62,000 हजार वोटों में से 1,33,808 वोट मिले, जबकि यामीन को 95,526 वोट हासिल हुए.
• राष्ट्रपति चुनाव में 88 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. इस चुनाव में इन दोनों के अतिरिक्त कोई अन्य उम्मीदवार खड़ा नहीं हुआ था, क्योंकि उनमें से कई उम्मीदवार जेल में थे या फिर कुछ को देश छोड़ना पड़ा था.
• फरवरी 2018 में आपातकाल लागू किया गया था तथा संविधान को निलंबित कर दिया गया था.
• यामीन के खिलाफ महाभियोग की कोशिश कर रहे सांसदों को रोकने के लिए सैनिकों को भेजा गया था तथा कई वरिष्ठ जजों और प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था.
• इन सभी कारणों के चलते इब्राहिम सोलिह को जनता तथा विपक्ष का समर्थन प्राप्त हुआ.
भारत के लिए मालदीव राष्ट्रपति चुनावों की अहमियत |
इन चुनावों से पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का झुकाव चीन की ओर अधिक माना जाता था. उनके कार्यकाल के दौरान चीन ने इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में बड़े स्तर पर निवेश किया. सवा चार लाख की आबादी वाला मालदीव भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. माना जाता है कि चीन ने वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत यहां निवेश करना शुरू किया है. वर्ष 2011 तक चीन का मालदीव में कोई दूतावास भी नहीं था, लेकिन अब चीन वहां मिलिट्री बेस बनाने की तैयारी आरंभ कर दी थी. हिंद महासागर में होने के कारण मालदीव भारत के लिए बेहद अहम है. |
भारत-मालदीव संबंध
• मालदीव हिंद महासागर में स्थित 1200 द्वीपों का देश है, जो भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से काफी अहम है. मालदीव के समुद्री रास्ते से ही जापान, चीन होते हुए भारत को उर्जा सप्लाई होती है.
• अदन की खाड़ी में समुद्री लुटेरों के खिलाफ चलाये जाने वाले अभियानों के नाम पर मालदीव अंतरराष्ट्रीय राजनीति में काफी अहम बन चुका है.
• मालदीव सार्क (SAARC) का भी सदस्य है इसलिए इस क्षेत्र में भारत को अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए मालदीव को अपने साथ रखना जरूरी है.
• मालदीव के साथ भारत के वर्षों से घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध भी रहे हैं. मालदीव के साथ नई दिल्ली का धार्मिक, भाषाई, सांस्कृतिक और व्यावसायिक संबंध है. 1965 में आजादी के बाद मालदीव को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में भारत शामिल था.
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