आयुष औषधियों के विज्ञापनों में कदाचार गतिविधियों में कमी लाने हेतु आयुष मंत्रालय ने भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् (एएससीआई) के साथ सहयोग हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.
एएससीआई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी औषधियों, उपचारों और अन्य संबंधित सेवाओं के संबंध में भ्रामक विज्ञापनों के मामलों से निपटने हेतु विज्ञापनों की व्यापक रूप से निगरानी करेगी.
समझौता ज्ञापन पर नई दिल्ली में आयुष मंत्रालय सचिव अजीत. एम. शरण की मौजूदगी में आयुष मंत्रालय में सलाहकार (आयुर्वेद) डॉ. डीसी कटोच और एएससीआई के अध्यक्ष एस के स्वामी ने हस्ताक्षर किए.
समझौते के मुख्य तथ्य-
- आयुष मंत्रालय द्वारा एएससीआई को स्वतः निगरानी अधिदेश दिया गया.
- इसका उद्देश्य आयुष क्षेत्र में संभावित भ्रामक विज्ञापनों को अभिनिर्धारित कर इसकी उपभोक्ता शिकायत परिषद् (सीसीसी) के माध्यम से शिकायतों पर कार्रवाई करना है. आयुष मंत्रालय भी भ्रामक विज्ञापनों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों को एएससीआई भेजेगा.
- मंत्रालय द्वारा भेजे गए भ्रामक विज्ञापनों की एएससीआई नियमावली और दिशा - निर्देशों का प्रयोग कर समीक्षा की जाएगी.
- समझौता ज्ञापन के अनुसार एएससीआई औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 और इसके अंतर्गत बनाई गई नियमावली का संभावित रूप से उल्लंघन करने वाले सभी विज्ञापनों और एएससीआई की सीसीसी की सिफारिशों के अनुपालन को अग्रिम कार्रवाई हेतु आयुष मंत्रालय को सूचित करेगा.
- रोगों और विकारों हेतु दावा करने वाला कोई भी विज्ञापन जो मौजूदा विनियमावली का उल्लंघन करता है, उसकी सूचना शीघ्र मंत्रालय को उपलब्ध कराई जाएगी.
- इस समझौते के बाद झूठे दावे करने वाले उत्पादों को बेचने वाले बेईमान विनिर्माताओं से उपभोक्ताओं को बचाया जा सकेगा.
- 3 प्रमुख क्षेत्रों में भ्रामक विज्ञापनों की घटनाएं सर्वाधिक आयुष में हैं.
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