प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में किशनगंगा पनबिजली परियोजना का उद्घाटन किया

May 22, 2018, 12:44 IST

किशनगंगा पनबिजली परियोजना सीस्मिक जोन-4 में स्थित है और ब्रिटिश कम्पनी हाल्क्रो द्वारा इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि भूकम्प को झेलने में सक्षम है.

Modi inaugurates Kishanganga hydro project in Kashmir
Modi inaugurates Kishanganga hydro project in Kashmir

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मई 2018 को कश्मीर घाटी के बांदीपोरा जिले में 330 मेगावॉट किशनगंगा जलविद्युत परियोजना का उद्धाटन किया. इस परियोजना की प्रगति की प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा निगरानी की गई थी. उन्होंने डल झील पर स्थित शेर-ए-कश्मीर कन्वेंशनल सेंटर से इसका उद्घाटन किया.

किशनगंगा पनबिजली परियोजना

•    इस परियोजना का निर्माण जनवरी 2009 में तीन मोर्चों पर शुरू हुआ- हेड रेस टनल (एचआरटी), पावर हाउस और वेंटिलेशन टनल.

•    इस परियोजना से प्रतिवर्ष 171.3 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन होगा.

•    परियोजना से उत्पादित 12 प्रतिशत बिजली जम्मू-कश्मीर को और शेष अन्य राज्यों को प्रदान की जाएगी.

•    यह परियोजना सीस्मिक जोन-4 में स्थित है और ब्रिटिश कम्पनी हाल्क्रो द्वारा इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि भूकम्प को झेलने में सक्षम है.

•    परियोजना को मूर्त रूप देने का उत्तरदायित्व एनएचपीसी को दिया गया जिसने आईआईटी रुड़की से परियोजना को सही रूप देने के लिए सलाह ली.

पृष्ठभूमि

•    2005-06 में जब भारत ने किशनगंगा जलविद्युत परियोजना की परिकल्पना की थी तब से ही पाकिस्तान ने सिन्धु जल संधि 1960 के उल्लंघन का आरोप लगाकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया था.

•    पाकिस्तान ने वर्ष 2010 में नीदरलैंड में हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (सीओए) में दलील दी थी कि किशनगंगा जल विद्युत परियोजना सिंधु नदी संधि का उल्लंघन है.

•    इसके बाद 20 दिसंबर 2013 को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय ने अपना अंतिम निर्णय देते हुए भारत को इस परियोजना (किशनगंगा बांध) के निर्माण की मंजूरी दी थी.

•    सितम्बर 2016 में फिर से पाकिस्तान ने परियोजना का काम रोकने के लिए विश्व बैंक से अपील की तथा बांध के नजदीक आतंकी हमला भी किया गया.

सिन्धु जल सन्धि एवं विवाद

विश्व बैंक की मध्यस्थता से वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के मध्य सिंधु नदी के जल अधिकार को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ. सन्धि के अनुसार हिमालय क्षेत्र की 6 प्रमुख नदियों में से 3 पश्चिम नदियों – सिन्धु, झेलम और चिनाब के पानी के प्रयोग का हक पाकिस्तान और 3 पूर्वी नदियों – सतलुज, रवि व व्यास के प्रयोग का हक भारत को दिया गया है.

किशनगंगा परियोजना झेलम की सहायक नदी पर स्थित रन-ऑफ़-द रिवर प्रोजेक्ट है जिसकी अनुमति इस संधि में दी गई है. इस नदी के कुल 245 किलोमीटर के मार्ग में से मात्र 50 किमी भारतीय नियंत्रण वाले क्षेत्र में आता है शेष 195 किमी पाक अधिकृत कश्मीर में इसी के चलते पाकिस्तान ने इस परियोजना में अड़ंगा डालने की हमेशा कोशिश की लेकिन संधि की शर्तों के चलते उसे सफलता नहीं मिली.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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