भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नेफेड) ने 28 मार्च 2018 को अपने आठ लेनदार बैंकों के साथ एकमुश्त समाधान समझौते पर हस्ताक्षर किए.
इस समझौते पर बैंकों की ओर से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के उप-महाप्रबंधक तथा नेफेड के अपर प्रबंधक निदेशक ने हस्ताक्षर किए.
समझौते से संबंधित मुख्य तथ्य:
इस समझौते के तहत नेफेड ने 220 करोड़ रुपए नगद तथा 254 करोड़ रुपए की संपत्ति को बैंकों को हस्तांतरित की है.
इसके साथ ही नेफेड ने अपने देनदार कंपनी के अंधेरी मुंबई स्थित मेगा माल की कुछ दुकानों का नीलामी अधिकार हस्तांतरित किया है.
इन स्कीमों के संचालन हेतु भारत सरकार नेफेड को सरकारी गारंटी मुहैया कराती है. जिसके आधार पर बैंक नेफेड को ऋण मुहैया करती है. परंतु इस तत्कालिक ऋण के कारण, नेफेड को सहज तरीके से बैंकों से पैसा नहीं मिल पाता था. अब इस समझौते से इसका निराकरण हो सकेगा. अब नेफेड को न्यूनतम दर पर बैंकों से पैसा मिल पाएगा जिससे नेफेड किसानों की सेवा कर सके.
पृष्ठभूमि:
गौरतलब है कि नेफेड 2003-05 के दौरान कुछ विवादित व्यवसाय में पैसा लगाया था. कुछ निजी क्षेत्रों ने नेफेड को पैसा नहीं लौटाया जिसका खामियाजा नेफेड को ब्याज देकर चुकाना पड़ा है. वर्ष 2011-12 में वित्तीय संसाधन की कमी के कारण नेफेड आगे व्याज का भुगतान नहीं कर पाया जिसके कारण बैंकों ने नेफेड के खातों को सील कर दिया था.
तत्पश्चात नेफेड को सरकारी व्यवसाय करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था. इस बीच लेनदार बैंकों ने नेफेड पर कानूनी कार्रवाई कर दी थी जिससे यह सहकारी संस्था तथा भारत सरकार को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था.
नेफेड:
नेफेड भारत सरकार की मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत तिलहन, दलहन की शीर्ष एजेंसी है.
इन योजनाओं के तहत नेफेड किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि जिंसों की खरीदी व्यवस्था करता है. जिससे किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके. नेफेड के सदस्य प्रमुख रूप में किसान है जिन्हें नेफेड के क्रियाकलापों में सामान्य निकाय के सदस्यों के रूप में विचार प्रकट करने तथा नेफेड के संचालन कार्यो में सुझाव देने का अधिकार है एंव उनका बहुत महत्व है.
नेफेड के वित्तीय पुनरुत्थान के लिए वर्ष 2015 में कृषि मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन हुआ था इस समिति ने 27 जनवरी 2016 को बैंकों से विचार विमर्श के पश्चात 478 करोड़ रुपये पर एकमुश्त समझौता किया जिसमें नेफेड को अपनी 17 परिसंपत्तियों को भारत सरकार के पक्ष में रेहन रखना था. नेफेड ने अपने लेनदार बैंकों के साथ इस समझौते को क्रियान्वयन किया है ताकि नेफेड और लेनदार बैंकों के बीच पुन: सामंजस्य कायम हो सके.
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