राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने 04 जनवरी 2017 को नमामि गंगे परियोजना से संबंधित 295.01 करोड़ रुपए लागत की पाँच परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है. इनमें से 278.6 करोड़ रुपए लागत की तीन परियोजनाएं पश्चिम बंगाल में जल-मल प्रबंधन से संबंधित हैं.
उत्तराखंड में 4.68 करोड़ रुपए की एक परियोजना जल-मल प्रबंधन से संबंधित है और वाराणसी में 11.73 करोड़ रुपए लागत की एक अन्य परियोजना घाटों के सुधार से संबंधित है. इसके साथ ही गंगा नदी के किनारे स्थित उच्च प्रदूषण वाले सभी शहरों के लिए जल-मल प्रबंधन की सभी परियोजनओं को स्वीकृत किया जा चुका है.
मुख्य तथ्य
• पश्चिम बंगाल के लिए जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है उसमें हाईब्रिड एनयूटी प्रणाली पर आधारित 172.10 करोड़ रुपए लागत की कामरहाटी और बाड़ानगर नगरपालिकाओं में 60 एमएलडी क्षमता वाला जल-मल शोधन संयंत्र लगाना और सीवर लाइनों की सफाई शामिल है.
• बेरहामपुर नगरपालिका में 52.20 करोड़ रुपए की लागत से गंगा नदी पर 3.5 एमएलडी लागत का जल-मल संयंत्र लगाया जाएगा और साथ ही सीवर नेटवर्क भी सुधारा जाएगा.
• नवद्वीप नगरपालिका में 54.30 करोड़ रुपए की लागत से 9.5 एमएलडी का एक जल-मल शोधन संयंत्र लगाया जाएगा और 10.5 एमएलडी वाले एक जल-मल शोधन संयंत्र का पुनर्रुद्धार किया जाएगा.
• उत्तराखंड में 4.68 करोड़ रुपए की लागत से हरिद्वार के कुछ इलाकों में सीवर लाइनें बिछाने की योजना है.
• वाराणसी में 11.73 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्न घाटों की मरम्मत और इनका सौंदर्यीकरण किया जाएगा जिसमें घाटों में मजबूत पत्थर लगाकर वहाँ की सीढ़ियों को सुधारा जाएगा ताकि यात्रियों को उस पर चलते समय किसी प्रकार की असुविधा और खतरा न हो.
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