राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की एक पीठ का गठन चेन्नई में किया गया है. यह पीठ दक्षिणी राज्यों के मामलों को देखेगी. सरकार ने अपीलीय न्यायाधिकरण की चेन्नई पीठ के गठन को अधिसूचित कर दिया है.
हालांकि, दिल्ली पीठ प्रमुख पीठ के रूप में काम करेगी. यह पीठ 18 मार्च से काम करने लगी है. अधिसूचना में कहा गया है कि एनसीएलएटी की चेन्नई पीठ कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, लक्षद्वीप और पुडुचेरी के राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेशों के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
अधिसूचना के अनुसार, अपीलीय न्यायाधिकरण की नयी दिल्ली पीठ को प्रधान पीठ के नाम से जाना जाएगा. वे एनसीएलएटी की चेन्नई पीठ के अधिकार क्षेत्र वाली अपीलों को छोड़कर अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करती रहेगी.
एनसीएलएटी क्या है?
अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन कंपनी कानून, 2013 की धारा 410 के तहत एनसीएलटी के आदेशों के खिलाफ अपीलों की सुनवाई के लिये किया गया. यह एक ट्रिब्यूनल है जिसे 01 जून 2016 से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के आदेशों के खिलाफ अपील सुनने के लिए बनाया गया है.
एनसीएलएटी का महत्व
एनसीएलएटी कंपनी के अधिनियम 2013 की धारा 410 में लाए गए संशोधन के अनुसार भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा जारी किए गए किसी भी दिशा-निर्देश या निर्णय को पारित करने या किए गए आदेश के खिलाफ अपील को सुनने और निपटाने हेतु अपीलीय न्यायाधिकरण भी है. ये अधिनियम 2013 की धारा 172 के अनुसार वित्त अधिनियम, 2017, 26 मई, 2017 से प्रभावी है.
यह कैसे काम करता है?
किसी कंपनी के दिवालिया होने पर सबसे पहले मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास जाता है. यहां इसके लिए इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त किया जाता है. इस अधिकारी को 180 दिनों के भीतर कंपनी को रिवाइव करने के कार्य को सुलझाना होगा. अगर कंपनी 180 दिनों के भीतर रिवाइव हो जाती है तो फिर से सामान्य कामकाज करने लग जाती है. यदि ऐसा नहीं होता तो उसे दिवालिया मानकर आगे की कार्रवाई की जाती है.
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