नेपाल के सूचना एवं संचार मंत्री मोहन बहादुर बासनेत ने 12 जनवरी 2018 को काठमांडू में नेपाल-चीन सीमा पार ऑप्टिकल फाइबर लिंक का उद्घाटन किया. नेपाल के निवासियों ने हिमालय पर्वत पर बिछी चीन की ऑप्टिकल फाइबर लिंक के जरिए इंटरनेट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. इसी के साथ साइबर दुनिया से जुड़ने के लिए नेपाल की भारत पर निर्भरता खत्म हो गई.
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रसुवागढी सीमा के माध्यम से चीनी फाइबर लिंक द्वारा मिलने वाली इंटरनेट की प्रारंभिक स्पीड 1.5 गीगाबाइट प्रति सेकेंड (जीबीपीएस) होगी. बीरतनगर, भैरहवा और बीरगंज के माध्यम से भारत 34 जीबीपीएस की स्पीड प्रदान कर रहा था. इसके साथ ही नेपाल की इंटरनेट के लिए भारत पर निर्भरता खत्म हो गई है. चीन ने इस क्षेत्र में भारत का एकाधिकार समाप्त कर दिया है.
नेपाल और चीन के बीच स्थापित ऑप्टिकल फाइबर लिंक देश भर में इंटरनेट बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी. यह नेपाल और चीन के बीच आधिकारिक स्तर के साथ-साथ नागरिक स्तर पर भी द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देगा. ऐसा पहली बार है कि नेपाल ने इंटरनेट एक्सेस के लिए भारत की जगह किसी और देश का रूख किया है.
पृष्ठभूमि:
सरकारी कंपनी नेपाल टेलीकॉम (एनटी) ने वर्ष 2016 में चीन की सरकारी कंपनी चाइना टेलीकम्युनिकेशन ने चीन के माध्यम से नेपाल में इंटरनेट के परिचालन के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे. अभी हाल ही में चीन ने ऑप्टिकल फाइबर के जरिए नेपाल में दखल दी है और भारत के लिये चुनौती पेश की है. भारत और चीन के बीच नेपाल बफर स्टेट की तरह काम करता है. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तौर पर नेपाल अपने आपको भारत के करीब पाता रहा है. दोनों देशों के बीच रिश्तों को और पुख्ता बनाने के लिए वर्ष 1950 में महासंधि हुई, जिसके तहत भविष्य की कार्ययोजनाओं का रूपरेखा तय किया गया.
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