आईपीसी की धारा 377 को सुनने के लिए संविधान पीठ का पुनर्गठन किया गया

Jul 8, 2018, 12:30 IST

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली संविधान पीठ में आरएफ नरीमन, एएम खानविल्कर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा होंगी. सभी मामलों पर 10 जुलाई से सुनवाई शुरू होगी.

New five-judge constitution bench to hear challenge to Section 377 of IPC
New five-judge constitution bench to hear challenge to Section 377 of IPC

आईपीसी की धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का संविधान पीठ 10 जुलाई 2018 से सुनवाई शुरू करेगा.

चार प्रमुख मामलों को सुनने के लिए संविधान पीठ का पुनर्गठन:

•    भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को समलैंगिक यौन संबंध स्थापित करने को अपराध करार देती है.

•    पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध से जुड़े विवादित मुद्दे की भी सुनवाई करेगी.

•    पीठ भारतीय दंड संहिता की धारा 497 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली अर्जी पर भी सुनवाई करेगी.

•    संविधान पीठ उस याचिका पर भी सुनवाई करेगी जिसमें यह फैसला करना है कि किसी सांसद या विधायक के खिलाफ किसी आपराधिक मामले में आरोप - पत्र दायर करने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए या दोषी करार दिए जाने के बाद ही अयोग्य करार दिया जाना चाहिए.

नवगठित पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा करेंगे और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा इसके सदस्य होंगे.

पृष्ठभूमि:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को दरकिनार करते हुए समलैंगिक यौन संबंधों को आईपीसी की धारा 377 के तहत ‘अवैध' घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गयीं और जब उन्हें भी खारिज कर दिया गया तो प्रभावित पक्षों ने सुधारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पिटीशन) दायर की ताकि मूल फैसले का फिर से परीक्षण हो.

सुधारात्मक याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान मांग की गयी कि खुली अदालत में इस मामले पर सुनवाई की मंजूरी दी जानी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट जब इस पर राजी हुआ तो कई रिट याचिकाएं दायर कर मांग की गई की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाये.

                                                                        धारा-377 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 377 अप्राकृतिक अपराध को संदर्भित करती है और कहती है कि जो भी स्वेच्छा से किसी भी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है, उसे आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई जा सकती है.

 

 यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति पर आदेश जारी किया

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

    एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

    AndroidIOS

    Trending

    Latest Education News