हिमाचल प्रदेश में ‘जबरन धर्मांतरण’ के खिलाफ कानून लागू, जानिए कितनी मिलेगी सजा

Dec 21, 2020, 16:11 IST

हिमाचल में बने धर्मांतरण कानून के तहत जबरन धर्मांतरण, प्रलोभन या झांसा देकर करवाया गया धर्मांतरण संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है. 

New Freedom of Religion Act comes into force in Himachal Pradesh in Hindi
New Freedom of Religion Act comes into force in Himachal Pradesh in Hindi

हिमाचल प्रदेश में जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण या धर्मांतरण के ‘एकमात्र उद्देश्य’ से शादी करने के खिलाफ एक कठोर कानून लागू हो गया है. इसमें उल्लंघनकर्ताओं के लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है. इसे एक साल से अधिक समय पहले राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था.

हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता कानून, 2019 को 18 दिसंबर को राज्य के गृह विभाग द्वारा अधिसूचित कर दिया गया. यह 2006 के कानून की जगह लेगा, जिसे विधानसभा ने निरस्त कर दिया है. अब बड़े राज्य भी ऐसे कानून बनाने की पहल कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी कानून लागू

यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है, जब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले महीने जबरन या धोखेबाजी से धर्मांतरण के खिलाफ एक अध्यादेश को अधिसूचित किया गया था. इसमें विभिन्न श्रेणियों के तहत 10 साल तक की कैद और अधिकतम 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.

सजा का प्रावधान यह है?

हिमाचल में बने धर्मांतरण कानून के तहत जबरन धर्मांतरण, प्रलोभन या झांसा देकर करवाया गया धर्मांतरण संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसके अतिरिक्त, धर्मपरिवर्तन के उद्देश्य से किया गया विवाह भी मान्य नहीं होगा और ऐसे विवाह को चुनौती दी जा सकेगी. ऐसे मामले फैमिली कोर्ट में सुने जाते हैं. इस कानून में सामान्य श्रेणी के व्यक्ति का धर्मपरिवर्तन करते हुए पकड़ा जाता है, तो पांच साल तक की सजा का प्रावधान है.

इसी तरह नाबालिग, महिला या एससी-एसटी से संबंधित लोगों का जबरन धर्मपरिवर्तन करते हुए पकड़े जाने पर अधिकतम सजा सात साल होगी. हालांकि, स्वेच्छा से किए जाने वाले धर्मपरिवर्तन पर रोक नहीं है, लेकिन इसकी सूचना व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट के पास एक महीने पहले देनी होगी और घोषणा करनी होगी कि वह बिना डर और प्रलोभन से धर्मपरिवर्तन कर रहा है.

इस कारण हिमाचल में लाया गया था बिल

हिमाचल के चंबा, सिरमौर, मंडी, कुल्लू और शिमला के कुछेक दुर्गम इलाकों में धर्मपरिवर्तन की घटनाएं सामने आ रही थी. इसमें ईसाई मिशनरियां पर धर्मपरिवर्तन करवाने के आरोप लगते रहे हैं. यह कानून इसी वजह से लाया गया था.

जिला मजिस्ट्रेट को एक महीने का नोटिस

अधिनियम के मुताबिक, यदि कोई धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे जिला मजिस्ट्रेट को एक महीने का नोटिस देना होगा कि वह अपनी मर्जी से धर्मांतरण कर रहा है. यह प्रावधान 2006 के कानून में भी लागू किया गया था और इसे अदालत में चुनौती दी गई थी. नए अधिनियम के अनुसार, यदि दलितों, महिलाओं या नाबालिगों का धर्मपरिवर्तन कराया जाता है, तो जेल की अवधि दो-सात वर्ष के बीच होगी.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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