निर्भया केस: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन, इस तारीख को होगी फांसी

Jan 14, 2020, 14:51 IST

सुप्रीम कोर्ट में पहले विनय शर्मा ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी. इसके बाद दोषी मुकेश सिंह ने भी पिटीशन दायर की थी. पटियाला हाउस कोर्ट ने इससे पहले निर्भया केस के चारों दोषियों का 'डेथ वारंट' जारी किया था.

nirbhaya case
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 14 जनवरी 2020 को दिल्ली के निर्भया केस में पटियाला हाउस कोर्ट से डेथ वॉरंट जारी होने के बाद दो दोषियों विनय शर्मा और मुकेश सिंह की ओर से डाली गई क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई कर दी है. कोर्ट ने निर्भया केस में दो दोषियों के क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी है. 

इस मामले पर सुनवाई जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन, आर. भानुमति और अशोक भूषण की बेंच की. सुप्रीम कोर्ट में पहले विनय शर्मा ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी. इसके बाद दोषी मुकेश सिंह ने भी पिटीशन दायर की थी. ऐसे में निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी 2020 को फांसी दिए जाने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि, अब भी इन दोनों के पास सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का एकमात्र विकल्प बचा है.  

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 07 जनवरी 2020 को निर्भया केस में बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने निर्भया केस के सभी दोषियों का ‘डेथ वारंट’ जारी कर दिया है. निर्भया केस दोषियों को 22 जनवरी 2020 की सुबह 7:00 बजे फांसी दी जाएगी.

पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने इससे पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात की. इस दौरान मीडिया को भी अंदर नहीं जाने दिया गया. गौरतलब है कि निर्भया मामले में चारों दोषियों अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, विनय सिंह और पवन गुप्ता को पहले ही फांसी की सजा दी जा चुकी है.

अदालत ने इस दौरान  दोषियों के हक का ध्यान रखते हुए उन्हें क्यूरेटिव पिटिशन दायर करने के लिए 14 दिन का समय दिया है. इस बीच दोषी क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर सकते हैं. दूसरी ओर, निर्भया दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि वे पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव याचिका दायर करेंगे.

डेथ वारंट क्या है?

डेथ वारंट को ब्लैक वारंट भी कहा जाता है. इसमें फॉर्म नंबर-42 होता है, जिसमें निष्पादन के समय, स्थान और तारीख का जिक्र होता है. डेथ वारंट में उन सभी अपराधियों के नाम शामिल होता है, जिन्हें मौत की सजा मिलनी है. रिपोर्टों के अनुसार, दोषियों को तब तक फांसी पर लटकाकर रखा जाता है, जब तक की वे मर नहीं जाते. एक बार डेथ वारंट जारी होने के बाद, दोषियों को इसके खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिन का समय मिलता है.

डेथ वारंट जारी होने के बाद क्या होता है?

मुजरिम को डेथ वारंट जारी होने के बाद बाकी कैदियों से अलग रखा जाता है. उसके सेल में कोई समान नहीं होता क्योंकि मुजरिम किसी बर्तन आदि से खुद को जख्मी न कर ले. मुजरिम पर 24 घंटे नजर रखी जाती है. उसके परिजनों से मुलाकात फांसी पर चढ़ाने के 24 घंटे पहले तक हो सकती है. यह मुलाकात भी जेल मैन्युअल के हिसाब से ही होती है.

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जानिए क्या है मामला?

दोषियों ने पैरा मेडिकल छात्रा ‘निर्भया’ के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था. दोषियों ने पीड़िता को चलती हुई बस से बाहर फेंक दिया था. पीड़िता ने जिंदगी की जंग लड़ते हुए 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था.

इस जघन्य घटना की देश और विश्व भर में व्यापक निंदा हुई थी. घटना के छह दोषियों में से एक ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. एक अन्य दोषी नाबालिग था जिसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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